India News (इंडिया न्यूज़), Parliament Session: सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव का असर राष्ट्रपति के अभिभाषण समारोह पर भी दिख रहा है। वैसे तो पिछले कुछ सालों से विपक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान टिप्पणी करता रहा है, लेकिन इस बार तो उसने हद ही पार कर दी। विपक्ष ने खूब टोका-टोकी विपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान खूब टोका-टोकी और हूटिंग की। एक समय तो राष्ट्रपति भी उनके टोक-टोक से परेशान दिखे और उन्हें कहना पड़ा, ‘सुनो, सुनो।’ इसके बावजूद विपक्ष अपने रवैये पर अड़ा नजर आया।
वहीं, दूसरी ओर सत्ता पक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण के हर शब्द पर मेज थपथपाता नजर आया। 50 मिनट के इस अभिभाषण में विपक्ष ने 40 मिनट तक रुक-रुक कर मेजें थपथपाईं। चुनाव नतीजों के बाद से ही विपक्ष सरकार पर दबाव बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहा है, वहीं संख्याबल में बहुमत के साथ आया एनडीए यह संदेश देने से नहीं चूक रहा कि जनता ने उसे जनादेश दिया है। यही वजह है कि बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद जो कड़वाहट दिखी थी, वह गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी खुलकर दिखी।
अभिभाषण में जैसे ही सरकार की तीसरी बार जीत का जिक्र हुआ, विपक्ष ने तुरंत हूटिंग शुरू कर दी। इसके बाद विपक्ष ने सिलसिलेवार तरीके से पूर्वोत्तर, सेना को मजबूत करने, युवा भारत, परीक्षाओं में सुधार, सीएए, जी-20 और आपातकाल आदि का जिक्र होने पर हूटिंग की और व्यवधान डाला। जब पूर्वोत्तर, परीक्षा सुधार और आपातकाल का जिक्र हुआ, तो दोनों तरफ से खूब शोर मचा।
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सरकार जानती थी कि आपातकाल का मुद्दा फिर विपक्ष को भड़काएगा, लेकिन इसका जिक्र हुआ। इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के मुख्य अंश अंग्रेजी में पढ़े। इस मौके पर भी विपक्ष ने और भी ज्यादा शोर मचाया।
हालांकि, परीक्षा की पारदर्शिता के मुद्दे पर खूब शोर होता देख उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान इसे अंग्रेजी में नहीं पढ़ा। सरकार के दस साल के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल एक राष्ट्र-एक चुनाव और यूसीसी के अभिभाषण में न होने पर भी चर्चा हुई।
कहा- यह राजशाही का प्रतीक विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान सेंगोल (पवित्र छड़ी) के प्रदर्शन पर आपत्ति जताई और कहा कि यह राजशाही का प्रतीक है, इसलिए इसे हटाकर इसकी जगह संविधान की प्रति रखी जानी चाहिए। यह मुद्दा सबसे पहले सपा सांसद आरके चौधरी ने उठाया और उन्होंने इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा है। हालांकि इसके बाद राजद सांसद मीसा भारती ने भी उनकी मांग का समर्थन करते हुए कहा कि इसे पूरी तरह से हटा देना चाहिए। यह अलग बात है कि बाद में अखिलेश यादव ने चौधरी के बयान से खुद को थोड़ा अलग करते हुए कहा कि शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने भी सेंगोल के आगे सिर नहीं झुकाया।
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