इंडिया न्यूज, Delhi News: देश में जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स (वस्तु एवं सेवा कर) लागू हुए पांच साल हो चुके हैं। पेट्रोल-डीज़ल और शराब को इसमें शामिल नहीं किया गया था। अब सोचने वाली बात यह है कि ऐसा क्यों किया गया। इन चीजों जीएसटी से बाहर क्यों रखा गया। अगर इन्हे इसमें शामिल किया जाता तो आपको इसका क्या फायदा होता। इससे आम लोगों के खाते में कितनी बचत आती। आज हम ऐसी ही कुछ रोचक बातों के बारे में जानेंगे।
पेट्रोल-डीजल और शराब जीएसटी में क्यों नहीं था शामिल?
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) से केंद्र सरकार ने पांच चीजों को दूर रखा है। इनमें सभी प्रकार की शराब, पेट्रोल, डीजल, हवाई यात्रा के लिए इस्तेमाल होने वाले एविएशन फ्यूल और बिजली शामिल है। इनको जीएसटी से बाहर रखने की वजह ये है कि इससे केंद्र और राज्य सरकार की मोटी कमाई होती है । पेट्रोल-डीजल पर अभी वैट और अन्य टैक्स मिलाकर के 57 फीसदी टैक्स लगता है।
यदि इनको 28 फीसदी के स्लैब में रखा तो केंद्र, राज्य की कमाई पर इसका काफी असर पड़ेगा। इसलिए इनको जीएसटी से दूर रखा गया है। बता दें कि पहले कहा गया था कि आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाएगा, जब केंद्र और राज्य की कमाई सही तरीके से होने लगेगी और अपनी कमाई के लिए पेट्रोल-डीजल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
बैठक में और भी हो सकते हैं बदलाव?
बता दें कि बैठक से पहले ही पीएम मोदी के आर्थिक परिषद के अध्यक्ष विवेक देव रॉय ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करने की संभावना जताई थी। सूत्रों मुताबिक छह माह बाद हो रही है आज जीएसटी बैठक में कुछ वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव हो सकता है, जबकि 215 से अधिक वस्तुओं की दरों में यथास्थिति बनाए रखने के लिए फिटमेंट समिति की सिफारिशों को मान लिया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में और सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों की जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक हो रही है।
आपको बता दें कि जुलाई 2017 में जब केंद्र सरकार ने जीएसटी पेश किया था तो राज्य सरकारों ने 14 फीसदी तक राजस्व वृद्धि की गारंटी दी थी। केंद्र सरकार ने कहा था कि अगर राज्य सरकारों को इससे कम टैक्स मिलता है तो केंद्र सरकार जून 2022 तक इसकी भरपाई करेगी। चूंकि यह अवधि जून 2022 में समाप्त हो रही है। इसलिए अब केंद्र सरकार ने जीएसटी संग्रह के नुकसान का भुगतान करने से इनकार कर दिया है।
पेट्रोल-डीजल के सस्ते होने का गणित क्या?
जीएसटी की कीमत 105 41 रुपये प्रति लीटर मानकर इसकी गणना इस प्रकार की जाएगी। बेस प्राइस फ्रेट 53.28 रुपये। केंद्र सरकार कर 2790 रुपये। डीलर का औसत कमीशन 3.78 रुपये है। राज्य सरकार कर रुपये 20.44। इस प्रकार पेट्रोल के मूल मूल्य का 19.40 प्रतिशत डीलर कमीशन द्वारा लगाया जाता है, यानी एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र और राज्य सरकारों को 48.34 रुपये कर के रूप में मिलता है।
अगर पेट्रोल जीएसटी दायरे में आएगा तो क्या होगी कीमत?
घटेगा। बताया जाता है कि जीएसटी के स्लैब पर रखा जाने वाला मूल्य बेस प्राइस भाला 58.28 रुपये। जीएसटी के 25 फीसदी टैक्स को शामिल करने के बाद यह हो जाता है- 14 91 रुपये। डीलर का औसत कमीशन 3.78 रुपये है। इस तरह इन आंकड़ों के मुताबिक ग्राहक को एक लीटर पेट्रोल 71-97 रुपये में मिलेगा।
इस तरह यह स्पष्ट हो जाता है कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी स्लैब में रखा गया तो उसकी कीमत काफी कम हो जाएगी। अब ये देखना है बैठक इन वस्तुओं को जीएसटी स्लैब पर रखने के फैसले को मंजूरी देगा या नहीं यह तो समय बताएगा।