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PM Modi Interview: पीएम मोदी ने किया तीसरे कार्यकाल का दावा, संविधान में बदलाव पर दिया बड़ा बयान

Mudit Goswami • LAST UPDATED : December 21, 2023, 11:54 am IST

India News (इंडिया न्यूज), PM Modi Interview: ब्रिटिश बिजनेस दैनिक फाइनेंशियल टाइम्स (एफटी) को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में परिवर्तन लाने वाले कदमों में स्वच्छ भारत के तहत राष्ट्रव्यापी शौचालय-निर्माण अभियान से लेकर भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के के द्वारा 1 अरब लोगों को ऑनलाइन किए जाने का जिक्र किया।

फाइनेंशियल टाइम्स अखबार को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने अपनी पार्टी के जीत का दावा किया। उन्होंने  कहा कि लोगों को एहसास है कि देश उतार-चढ़ाव के शिखर पर है, और वह 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में जीत के प्रति बहुत आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा- “वे (देश) चाहता हैं कि इस उड़ान में और तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा कि जनता जानती हैं कि यह सुनिश्चित करने के लिए सबसे अच्छी पार्टी वही (BJP) है, जो उन्हें यहां तक लेकर आई है।”

पीएम मोदी ने देश के आम आदमी के जीवन में ठोस बदलाव का हवाला देते हुए कहा कि लोगों की 10 साल पहले की तुलना में अलग आकांक्षाएं बदली हैं। मालूम हो कि पीएम मोदी के ये बयान उस वक्त आया जब बीजेपी ने पांच राज्यों के चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया। बीजेपी ने 3 राज्यों में अपनी सरकार बनाई। जिसमें 2 राज्यों की सत्ता मे वापसी की है।

अखबार ने बताई ये बात

इंटरव्यू को लेकर अखबार ने लिखा कि ये तीसरी बार की जीत पर मोदी के समर्थकों के लिए एक पुष्टि की तरह है। जिन लोगों का मानना है कि  उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था और वैश्विक सम्मान का निर्माण किया है, लाखों लोगों के जीवन में सुधार किया है और बहुसंख्यक हिंदू धर्म को सार्वजनिक जीवन के केंद्र में रखा है।

लोकतंत्र पर क्या बोले पीएम

वहीं, अखबार के द्वारा तीसरे कार्यकाल की जीत का उपयोग हिंदू गणराज्य बनाने और संविधान में संशोधन करने के आलोचकों के सवाल पर मोदी ने कहा कि बीजेपी के आलोचक अपनी राय रखने और उन्हें व्यक्त करने की आजादी के हकदार हैं। उन्होंने कहा- ऐसे आरोपों के साथ एक बुनियादी मुद्दा है, जो अक्सर आलोचना के रूप में सामने आते हैं।

उन्होंने कहा, “ये दावे (भारतीय लोकतंत्र के स्वास्थ्य पर चिंताएं) न केवल भारतीय लोगों की बुद्धिमत्ता का अपमान करते हैं बल्कि विविधता और लोकतंत्र जैसे मूल्यों के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को भी कम आंकते हैं।”

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