India News (इंडिया न्यूज़), PM Modi, दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली सरकारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर के लोग बहुत लंबे समय तक विकास से वंचित थे। 2014 से पहले के रेल बजट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 से पहले नार्थ ईस्ट का रेल बजट 2500 करोड़ था जो अभी 10,000 करोड़ रुपये है जो की पहले से चार गुना है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए असम में पूर्वोत्तर की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी यह बात कह रहे थे। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने पूर्वोत्तर के लोगों को लंबे समय तक विकास से वंचित रखा।
पीएम ने कहा कि पूर्वोत्तर के सभी हिस्सों को जल्द ही ब्रॉड-गेज नेटवर्क के माध्यम से जोड़ा जाएगा। 1 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा रहा है जो उस पर खर्च किया जाएगा। पिछले 9 साल भारत के लिए अभूतपूर्व उपलब्धियों वाले रहे हैं और सरकार ने गरीबों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। बुनियादी ढांचा सभी के लिए, समान रूप से, बिना किसी भेदभाव के है। इसलिए यह इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण भी एक तरह से सच्चा सामाजिक न्याय है, सच्ची धर्मनिरपेक्षता है।
वंदे भारत पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि एक्सप्रेस कामाख्या मंदिर, काजीरंगा अभयारण्य, असम में मानस टाइगर रिजर्व, मेघालय में शिलांग और चेरापूंजी और अरुणाचल प्रदेश में तवांग जैसे प्रमुख स्थलों को जोड़कर व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगी।
आज पीएम मोदी ने नार्थ-ईस्ट की पहली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। साथ ही प्रधानमंत्री ने असम और मेघालय में लगभग 425 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण के काम का उद्घाटन किया। रिमोट बटन दबाकर प्रधानमंत्री ने न्यू बोंगाईगांव-दुधनोई-मेंडीपाथर और गुवाहाटी-चापरमुख नव विद्युतीकृत खंड राष्ट्र को समर्पित किए। पीएम ने लुमडिंग में एक नए डेमू/मेमू (ट्रेनों के लिए वर्कशॉप) शेड का भी उद्घाटन किया।
यह ट्रेन ‘कवच’ से लैस है, जो उच्च विश्वसनीयता के साथ स्वदेशी रूप से विकसित ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली है। उन्नत अत्याधुनिक निलंबन प्रणाली ट्रेन में चलने पर सुगमता सुनिश्चित करती है। उन्नत रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के साथ बिजली कारों के वितरण और लगभग 30 प्रतिशत बिजली की बचत करके ग्रीन फुटप्रिंट योजनाओं को प्राथमिकता दी गई है।
ब्रेकिंग सिस्टम इलेक्ट्रो-न्यूमैटिक है जिसमें डिस्क ब्रेक सीधे व्हील डिस्क पर लगे होते हैं, जिससे ब्रेकिंग दूरी काफी कम हो जाती है। कोचों पर लगी सिग्नल एक्सचेंज लाइटें ट्रेन के चलते समय रास्ते के स्टेशनों के साथ सिग्नल के झंझट मुक्त आदान-प्रदान को सक्षम बनाती हैं। 650 मिमी की ऊंचाई तक बाढ़ का सामना करने में सक्षम बनाने के लिए अंडर-स्लंग विद्युत उपकरणों के लिए सुपीरियर फ्लडप्रूफिंग की जाती है। इस ऊर्जा-कुशल ट्रेन में अन्य की तुलना में तेजी से बदलाव का समय है।
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