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जल जीवन मिशन – एक सफल अभियान की सत्यकथा

India News (इंडिया न्यूज), Jal Jeevan Mission: द संडे गार्डियन अखबार की एक रिपोर्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लैटफार्म एक्स पर रीट्वीट किया और लिखा कि “आज जल जीवन मिशन महिलाओं का, खासकर ग्रामीण इलाकों में सशक्तिकरण कर रहा है. महिलाएं अब अपने कौशल विकास और स्वावलंबन पर ध्यान दे सकती हैं.” दरअसल हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जल जीवन मिशन का ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण पर परिवर्तनकारी प्रभाव को लेकर आंकड़े जारी किए. ये आंकड़े कई तथ्यों का उद्घाटन करते हैं. इस रिपोर्ट से यह बात सामने आती है कि परिवार के लिए पानी का इंतजाम करने में महिलाओं का समय और श्रम दोनों बच रहे हैं. इस बचत ने उनको खेती औऱ उससे जुड़े दूसरे काम की तरफ मोड़ा है. इतना ही नहीं बल्कि उनके कौशल विकास में भी इसकी भूमिका स्पष्ट दिख रही है. इस स्टडी से पता चलता है कि देश के घरों में बाहर से पानी लाने का मामलों में 8.3 फीसदी कमी आई है. इसका असर ये हुआ है कि खेती और उससे जुड़े दूसरे काम में महिलाओं की भागीदारी 7.4 प्रतिशत बढी है.

15 अगस्त 2019 को हुई जल जीवन मिशन की शुरुआत

बिहार और असम जैसे राज्यों में खासी बेहतरी नजर आ रही है. इन राज्यों की वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी 28 फीसदी बढी है. जाहिर है इस सुधार ने गरीब राज्यों में नल जल की सुविधा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत सरकार ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की शुरुआत की. इस योजना के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्देश्य घर-घर तक नल से पानी का साफ पानी पहुंचाना है. जब इस मिशन की शुरुआत हुई तो समूचे देश में ग्रामीण भारत के 3.23 करोड़ परिवारों के पास नल-जल की सुविधा थी. 10 अक्टूबर 2024 तक 11.96 करोड़ घरों को नल-जल से जोड़ा गया. इस तरह देश में आज की तारीख में गांवो के 15.20 करोड़ परिवारों के पास नल के माध्यम से पीने का साफ पानी पहुंच रहा है. इस तरह से देखें तो ग्रामीण भारत के 78.62 प्रतिशत घरों को यह सुविधा मुहैया हो रही है. जल जीवन मिशन का राज्यवार प्रभाव के लिहाज से देखें तो गरीब राज्यों को इससे अधिक फायदा हुआ है.

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खेती औऱ उससे संबंधित काम में महिलाओं की भागीदारी 17.3 फीसदी बढी

उत्तर प्रदेश में नल से जल जिन घरों तक पहुंचाया गया है, उसमें काफी इजाफा हुआ है. इसका असर ये हुआ है कि खेती औऱ उससे संबंधित काम में महिलाओं की भागीदारी 17.3 फीसदी बढी है. इसी तरह उड़ीसा में बाहर से पानी लाने के मामलों में 17.3 प्रतिशत की कमी आई है. दूसरी तरफ महिलाओं के वर्कफोर्स में 14.8 फीसदी बढोत्तरी हुई है. जाहिर है यह नल-जल मिशन के कारण ही संभव हो सका है. पश्चिम बंगाल जो गैर बीजेपी शासित राज्य है, वहां कामकाज में महिलाओं की भागीदारी 15.2 प्रतिशत बढी है. इसकी वजह घरों तक पानी पहुंचाने के मामलों में बेहतरी के चलते महिलाओं के समय और श्रम की बचत है. वह वर्कफोर्स में उछाल के तौर पर दिख रहा है.

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महिलाओं द्वारा पानी ढोने की परेशानी में कमी

अगर हिमाचल प्रदेश औऱ तेलंगाना जैसे राज्यों के आंकड़ों पर गौर करें तो वहां भी बड़े बदलाव नजर आ रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में घरेलू जरुरत के लिए बाहर से पानी लाने के मामलों में 19.4 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि तेलंगाना में यह आंकड़ा 30.3 फीसदी चला गया है. पश्चिम बंगाल की तरह तेलंगाना भी गैर बीजेपी शासित राज्य है. आंध्र प्रदेश में भी पानी ढोने की परेशानी में कमी देखी गई है और बाहर से पानी लाने के मामले 9 फीसदी कम हुए हैं. राजस्थान औऱ गुजरात में टैप वाटर की उपलब्धता ने ग्रामीण आबादी को उत्पादन और आर्थिक विकास की तरफ मोड़ा है.

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नज जल मिशन ने बदली गांवों की तस्वीर

नज जल मिशन की यह कामयाबी इस बात को भी साबित करती है कि यह अभियान दुर्गम इलाकों में भी महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है. गांवो की तस्वीर बदल रही है. इस स्टडी से यह भी साफ होता है कि गांवों में बाहर से पानी लाने के मामलों में बड़े पैमाने पर कमी आई है. इसके चलते लोगों के जीवन स्तर में सुधार आया है और पानी से पैदा होनेवाली बीमारियों में ना सिर्फ कमी आई है बल्कि स्वास्थ्य में भी सुधार दर्ज किया गया है. 3.60 लाख करोड़ का नल जल मिशन जिसका बजट केंद्र और राज्यों के बीच साझा होता है, देश में घर-घर साफ पानी मुहैया कराने के अपने अभियान पर कामयाबी के साथ आगे बढ़ रहा है.

Deepak

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