India News (इंडिया न्यूज), PM Modi Exposed Congress On Reservation : शनिवार को सदन एक के बाद एक धमाकेदार भाषण सुनने और देखने को मिले। सबसे पहले नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अपने भाषण में पीएम मोदी के साथ बीजेपी सरकार पर जमकर हमले किए। राहुल गांधी ने चर्चा के दौरान आरक्षण को मुद्दा बनाया। अपने भाषण में सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो आरक्षण का 50 फीसदी वाला दायरा तोड़ देंगे. उन्होंने मोदी सरकार को आरक्षण के खिलाफ बताया। इसके अलावा मोदी सरकार को आरक्षण का विरोधी भी बताया। राहुल गांधी के भाषण के बाद पीएम मोदी ने सदन में अपना भाषण शुरू किया। अपने भाषण के शुरूआत से ही पीएम मोदी ने आरक्षण पर कांग्रेस के धागे खोल दिए। कांग्रेस को आईना दिखाते हुए पीएम ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक आरक्षण के खिलाफ थे। उन्होंने जो किया, उसका सबसे बड़ा नुकसान एससी-एसटी और ओबीसी को हुआ।
पीएम मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस सत्ता के लालच में और अपने वोट बैंक के तुष्टीकरण में संवैधानिक भावना का उल्लंघन करते हुए इसे आगे बढ़ा रही है। वे धर्म के आधार पर आरक्षण देना चाहते हैं। संविधान निर्माताओं ने देश की एकता और अखंडता के हित में धर्म और आस्था के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देने का सोचा-समझा फैसला किया था। लेकिन वोट बैंक की राजनीति में डुबे हुए लोगों ने धर्म के आधार पर, तुष्टिकरण के आधार पर आरक्षण में कुछ न कुछ नुक्ताचीनी करने की कोशिश की है।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में नेहरू और राजीव गांधी पर बात करते हुए कहा कि आरक्षण की कथा बहुत लंबी है। जवाहर लाल नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने आरक्षण का लगातार विरोध किया है। आरक्षण के विरोध में स्वयं नेहरू जी ने मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी है। इतना ही नहीं, सदन में आरक्षण के खिलाफ लंबे-लंबे भाषण इन लोगों ने दिए हैं। बाबा साहेब अंबेडकर समता के लिए आरक्षण लेकर आए, लेकिन इन लोगों ने उसके खिलाफ भी झंडा ऊंचा किया हुआ था. दशकों तक मंडल कमीशन की रिपोर्ट को डिब्बों में डाल दिया।
जब कांग्रेस को देश ने हटाया, तब जाकर ओबीसी को आरक्षण मिला। तब तक आरक्षण नहीं मिला। ये कांग्रेस का पाप है। अगर उस वक्त इन्हें आरक्षण मिला होता तो आज देश के अनेक सीनियर पदों पर ओबीसी समाज के लोग भी होते। लेकिन नहीं होने दिया।
पीएम मोदी ने कहा, जब हमारा संविधान बन रहा था तब संविधान निर्माताओं ने धर्म के आधार पर आरक्षण होना चाहिए या नहीं, इस पर कई दिनों तक बहस और चर्चा की थी। सबने माना कि भारत जैसे देश की एकता और अखंडता के लिए धर्म या संप्रदाय के आधार पर आरक्षण नहीं हो सकता।
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