India News (इंडिया न्यूज़), PM Modi at CJI House: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के साथ उनके आवास पर गणपति पूजा में शामिल होने के बाद अब राजनीति गरमा गयी है। विपक्ष पूरी तरह से सरकार पर हमलावर है। महाराष्ट्र में यूबीटी के नेता संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ को भी नसीहत दे दी है। उन्होंने चंद्रचूड़ को कि संविधान के संरक्षकों का राजनेताओ के साथ मिलना अच्छा संकेत नहीं देता है। उन्होंने मुख्य न्यायधीश को ऐसे मामलों से खुद को अलग करने की सलाह दी। वही बीजेपी ने कहा कि, ‘यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है।’ वहीं भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना के सांसद मिलिंद देवड़ा ने कहा कि, मुख्य न्यायधीश पर इस तरह के निराधार आरोप लगाना बहुत खतरनाक है।
संजय राउत ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर उन मामलों को सूचीबद्ध करके लिखा कि जिसमें मुख्य न्यायधीश ने विपक्ष के खिलाफ फैसला दिया है। राउत ने ये भी लिखा कि ऐसी घटनाओं को समझने के लिए आपको क्रोनोलॉजी को समझाना पड़ेगा। संजय राउत ने कहा, “महाराष्ट्र का हमारा मामला…सीजेआई चंद्रचूड़ के समक्ष सुनवाई चल रही है, इसलिए हमें संदेह है कि हमें न्याय मिलेगा या नहीं, क्योंकि मामले में प्रधानमंत्री दूसरी पार्टी हैं। मुख्य न्यायाधीश को इस मामले से खुद को दूर कर लेना चाहिए, क्योंकि मामले में दूसरी पार्टी के साथ उनके संबंध खुले तौर पर दिखाई दे रहे हैं। क्या सीजेआई चंद्रचूड़ ऐसी स्थिति में हमें न्याय दिला पाएंगे?”
जिसके बाद भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जस्टिस बालकृष्ण की मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है। उन्होंने लिखा, “2009 में तत्कालीन सीजेआई केजी बालकृष्ण पीएम मनमोहन सिंह की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे। यह सेक्युलर है, न्यायपालिका सुरक्षित है। जब पीएम मोदी सीजेआई के घर गणेश पूजा में शामिल हुए, तो न्यायपालिका से समझौता हो गया।”
आपको बता दें, प्रधानमंत्री मोदी मुख्य न्यायधीश चंद्रचूड़ के घर पर गणेश चतुर्थी के दौरान गणपति पूजा उत्सव में हिस्सा लिया था। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पारम्परिक पोशाक पहने हुए नजर आये थे और उनका स्वागत चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास ने किया था। वहीं भाजपा ने विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष उनके दौरे का राजनीतिकरण कर रही है। भाजपा के नेता बी एल संतोष ने कहा कि, शिष्टता, सौहार्द, एकजुटता, राष्ट्र यात्रा में सहयात्री, ये सभी वामपंथी उदारवादियों के लिए अभिशाप हैं। साथ ही, यह सामाजिक मेलजोल नहीं था, बल्कि समर्पित गणपति पूजा को पचाना बहुत मुश्किल है। एससीबीए (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) कोई नैतिक दिशा-निर्देश नहीं है। एक बार गहरी सांस लें।”
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