PM Narendra Modi
इंडिया न्यूज़ ,नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना अमेरिका दौरा पूरा करके लौट चुके हैं। ऐसे में जानना महत्वपूर्ण है कि देश वासियों के लिए अमेरिका से वह कौन सा तोहफा लेकर आए हैं। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री एक हाथ खाली तो दूसरा हाथ भरा लेकर लौट रहे हैं। अफगानिस्तान के मुद्दे पर अभी अमेरिका वेट एंड वॉच की स्थिति में है। दूसरे पाकिस्तान के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने जरूर भारत को अच्छा लगने वाला बयान दे दिया, लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय वार्ता में भारत को खुश कर देने वाला कोई संदेश निकल कर नहीं आया। लगता है थोड़ा इंतजार करना होगा।प्रधानमंत्री जो हाथ भरा लेकर लौट रहे हैं उसमें कारोबार, सामरिक और रणनीतिक साझेदारी को विश्वसनीयता की गहराइयों तक ले जाने और सहयोग का अमेरिकी भरोसा है। इसके अलावा जापान, आस्ट्रेलिया के साथ बढ़ रहा सहयोगात्मक रिश्ता तथा क्वॉड के फोरम का मजबूत होना है। अमेरिका की कंपनियों के सीईओ ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात में अच्छे संकेत दिए हैं। समझा जा रहा है कि विदेश मंत्री और विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला दिल्ली लौटने के बाद इन सभी मुद्दों पर जानकारी देंगे।

PM Narendra Modi ने उठाई भारत की आवाज

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुमान के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र महासभा के फोरम से लेकर क्वॉड और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से चर्चा के दौरान अपनी चिंताओं को मजबूती के साथ साझा किया। आतंकवाद, कट्टरवाद को लेकर भी अपना पक्ष रखा। पाकिस्तान के अफगानिस्तान में बढ़ रहे दखल को लेकर भी भारत ने अपनी चिंताओं का साझा किया। भविष्य में इसके कारण क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर बढने वाली चिंताओं और आतंकवाद की संभावना तथा खतरे से आगाह किया। लेकिन वैश्विक समुदाय ने अभी इसको लेकर अपना पत्ता नहीं खोला। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी पाकिस्तान की जमीन से भारत के विरुद्ध प्रायोजित आतंकवाद पर कोई सख्त टिप्पणी नहीं की और न ही इस तरह का कोई बड़ा संकेत दिया। केवल कूटनीतिक भाषा का इस्तेमाल कर आतंकवाद के विरुद्ध प्रतिबद्धता जताई। अमेरिकी राष्ट्रपति के संदेशों से अभी यही लग रहा है कि वाशिंगटन इस्लामाबाद के प्रति कुछ सॉफ्ट कार्नर रखने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। वैसे भी राष्ट्रपति जो बाइडन के कामकाज का तरीका पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, बराक हुसैन ओबामा और जार्ज वॉकर बुश से अलग है।
क्वॉड, आकस और भारत
अमेरिका ने क्वॉड शिखर सम्मेलन के पहले आकस(तीन देशों के समूह) में जान डाल दी। आकस के इस स्वरुप में आने के बाद अब क्वॉड का महत्व कम माना जा रहा है। अमेरिका ने क्वॉड के फोरम को एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ रहे प्रभुत्व को रोकने के लिए आगे बढ़ाया था। हालांकि,  वाशिंगटन में व्हाइट हाउस में बैठक के बाद क्वॉड पर चर्चा ने एक बार फिर जोर पकड़ा है, लेकिन इस बैठक में चीन या बीजिंग का नाम नहीं लिया गया। दक्षिण चीन सागर का नाम लेकर भी कुछ नहीं कहा गया। अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान और भारत के फोरम ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र को लेकर वक्तव्य दिया है। सुरक्षा और स्वतंत्र परिवहन तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन पर भी जोर दिया गया है। क्वॉड और आॉकस पर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से जानने की कोशिश हुई तो उन्होंने कहा कि क्वॉड चार देशों का फोरम है। इसकी एक डाक्टरिन है।,जबकि आकस तीन देशों का समूह है। श्रृंगला के अनुसार क्वॉड का महत्व है और रहेगा।
Connact Us: Twitter Facebook