India News (इंडिया न्यूज), Delhi Air Quality: पिछले दो हफ़्तों से दमघोंटू हवा में सांस ले रहे दिल्ली के कई इलाके बुधवार सुबह रेड जोन में थे। वहीं मंगलवार को करीब 29 इलाके रेड जोन में थे। AQICN के मुताबिक बुधवार सुबह 7 बजे जहांगीरपुरी का AQI 999 दर्ज किया गया। इसके अलावा एनसीआर के कई और इलाके रेड जोन में थे। यहां देखें किस इलाके का AQI कितना रहा।
जहांगीरपुरी | 999 |
ओखला दिल्ली | 802 |
आनंद विहार | 785 |
नोएडा सेक्टर62 | 617 |
श्री अरबिंदो मार्ग | 729 |
आईटीआई शारदा दिल्ली | 713 |
पंजाबी बाग | 718 |
श्रीनिवासपुरी दिल्ली | 826 |
आपको बता दें कि मंगलवार को इन सभी जगहों का एक्यूआई 300 से ऊपर यानी ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया था। आठ इलाके ऐसे थे जहां एक्यूआई 200 से 300 के बीच यानी ‘खराब’ श्रेणी में था। दो इलाके ऐसे भी थे जहां हवा अपेक्षाकृत साफ थी। यहां एक्यूआई 200 से नीचे यानी ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज किया गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक मंगलवार को दिल्ली का एक्यूआई 334 था। सोमवार को यह 352 था। यानी 24 घंटे के अंदर इसमें 18 अंकों की गिरावट देखने को मिली। एक दिन पहले भी इतने ही अंकों की बढ़ोतरी देखी गई थी। एनसीआर के शहरों में भी इसी तरह का उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम के अनुसार अगले छह दिनों तक हवा की गति 8 से 10 किलोमीटर प्रति घंटे से कम रहेगी। मौसम की स्थिति भी प्रतिकूल है। एक्यूआई 300 से ऊपर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहेगा। जिले की हवा 16 दिनों से खराब और बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। गाजियाबाद जिले के लोगों को प्रदूषण से कोई राहत नहीं मिल रही है। पिछले 16 दिनों से हवा खराब और बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। जिले की हवा आखिरी बार 25 अक्टूबर को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 200 के साथ मध्यम श्रेणी में दर्ज की गई थी।
तब से प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ है। आसमान में कोहरे के साथ ही लोगों को आंखों में जलन और गले में खराश की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी सांस के रोगियों को हो रही है। प्रदूषण रोकने के लिए 15 अक्टूबर से GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) का पहला चरण एनसीआर में लागू किया गया था, लेकिन अधिकारी GRAP की पाबंदियों को लागू करने में विफल रहे। जिससे नियमों का खुलेआम उल्लंघन हुआ।
वहीं, GRAP के दूसरे चरण की पाबंदियां महज सात दिन बाद यानी 22 अक्टूबर से लागू हो गईं। तमाम पाबंदियां लगाने का कोई फायदा नहीं हुआ। हवा के बहाव के साथ प्रदूषण का स्तर थोड़ा बढ़ता-घटता रहा, लेकिन लोगों को प्रदूषण से राहत नहीं मिली। अधिकारियों ने प्रदूषण रोकने के लिए बैठकें कर कई योजनाएं जरूर बनाईं, लेकिन इन योजनाओं पर कोई काम नहीं हो सका। सड़कों पर उड़ती धूल, जगह-जगह कूड़े के ढेर में आग, सड़कों पर उड़ती धूल, सड़कों पर दौड़ते पुराने वाहन इसकी गवाही दे रहे हैं।
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