India News(इंडिया न्यूज), IAS Puja Khedkar: पूजा खेडकर को लेकर हर दिन नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अब पूजा खेडकर को लेकर एक और नया खुलासा सामने आया है। जिसमे बताया जा रहा है कि पूजा ने पुणे के एक निजी अस्पताल से भी फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाने की कोशिश की थी, जिसे अस्पताल ने देने से मना कर दिया था। वहीं इसको लेकर कई मीडिया रिपोर्ट्स में तो यहां तक भी दावा किया गया है कि पूजा खेडकर ने यूपीएससी के द्वारा बताए गए एम्स में टेस्ट करवाने की बजाय एक निजी अस्पताल की गलत रिपोर्ट जमा कर दी थी। इसी तरह पूजा पर आईएएस बनने के लिए कई अन्य तरह के दस्तावेजों में हेराफेरी करने का भी आरोप है। पूजा पर फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र जमा करने का भी आरोप है।
पूजा खेडकर मामले में बड़ा खुलासा
पूजा खेडकर के मामले में एक नए खुलासे ने एक बार फिर से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। आपको बता दें कि पूजा खेडकर के दो मेडिकल सर्टिफिकेट को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा था। इसी बीच अब खुलासा हुआ है कि उन्होंने पुणे के एक अस्पताल से तीसरा मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने की कोशिश की थी, हालांकि अस्पताल ने ऐसा कोई भी सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि पूजा ने इस सर्टिफिकेट को पाने के लिए काफी दबाव बनाया था, लेकिन अस्पताल ने नियमों और प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए उनकी मांग को खारिज कर दिया।
विकलांगता प्रमाण देने से डॉक्टर ने किया था इनकार
जारी रिपोर्ट के मुताबिक, पूजा खेडकर ने अगस्त में साल 2022 में पुणे के एक निजी अस्पताल से विकलांगता प्रमाण पत्र लेने की कोशिश की थी, जिसे अस्पताल ने देने से मना कर दिया था। सूत्रों की मानें तो इस तीसरे प्रमाण पत्र को पाने का मकसद पूजा को शारीरिक रूप से विकलांग साबित करना था। डॉक्टर ने किया था इनकार पूजा खेडकर ने जिस निजी अस्पताल में विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, वहां डॉक्टरों की टीम ने उनके स्वास्थ्य की जांच की और कहा कि उन्हें विकलांगता से जुड़ा कोई भी प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता। पूजा की सभी रिपोर्ट की जांच करने के बाद अस्पताल के डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि पूजा को विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करना संभव नहीं है। इस तरह पूजा का आवेदन खारिज हो गया, जिससे उनकी योजना पर पानी फिर गया।
पूजा ने जमा किए थे दो प्रमाण पत्र
पूजा खेडकर ने यूपीएससी को दो मेडिकल प्रमाण पत्र जमा किए थे, जिसमें से एक में उन्होंने खुद को कम दिखाई देने वाला और दूसरे में मानसिक बीमारी का जिक्र किया था। इन दोनों सर्टिफिकेट की मदद से वह यूपीएससी परीक्षा की पीडब्लूबीडी श्रेणी में चयनित हो गई। आपको बता दें कि ये दोनों सर्टिफिकेट अहमदनगर सिविल अस्पताल से बने थे। ये दोनों सर्टिफिकेट दो अलग-अलग कमेटियों ने जारी किए हैं, जिसमें एक सर्टिफिकेट साल 2018 का जारी किया गया है, जबकि दूसरा 2021 का बताया जा रहा है।
‘वह किशोर था, खुशी में वाहन चला रहा होगा..’,एक्सीडेंट में ली थी महिला की जान, कोर्ट ने सुनाया फैसला