जनसंख्या नियंत्रण को लेकर इन दिनों देश में खूब घमासान चल रहा है, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ आरएसएस के नेता इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं, जनसंख्या नियंत्रण पर मोदी सरकार और आरएसएस का रुख काफी अलग दिखाई दे रहा है।
आरएसएस के चीफ मोहन भागवत ने कहा है कि भारत को व्यापक सोच के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए और यह सभी समुदायों पर समान रूप से लागू की जानी चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि जनसंख्या नियंत्रण और धर्म आधारित जनसंख्या संतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा मुस्लिम समुदाय के लोग महसूस कर रहे हैं कि इस देश की जनसंख्या में एक बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा, देश में बेरोजगारी सभी समुदायों में एक मुद्दा है लेकिन इस मोर्चे पर अल्पसंख्यकों की शिकायत असल में असली है और उसपर गौर करने की जरूरत है।
प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य जोड़ों को दो से अधिक बच्चों को जन्म देने से हतोत्साहित करना है, इसमें कहा गया है कि दो से अधिक संतान वाले जोड़ों को सरकारी नौकरी और सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं और सामानों पर सब्सिडी के लिए अपात्र बनाया जाए।
जनसंख्या नियंत्रण विधेयक 2019 को 2022 में वापस ले लिया गया था, हालांकि, दो-बाल नीति को लगभग तीन दर्जन बार संसद में पेश किया गया है, लेकिन किसी भी सदन से हरी झंडी नहीं मिली है।
बीजेपी सांसद रवि किशन द्वारा दो-बाल नीति को संसद मे पेश किया गया था, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सहित कई बीजेपी नेताओं ने भारत में बढ़ती जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कानून लाने की मांग की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उस दौरान यह स्पष्ट कर दिया था कि वह ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (30 सितंबर) को जनसंख्या नियंत्रण पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई जारी रखने के लिए अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में हमेशा कुछ विवादों को हल करने की आवश्यकता होगी, लेकिन हर समस्या को सीधे शीर्ष अदालत में जाने से हल नहीं किया जा सकता है, कोर्ट ने कहा कि आपने (भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती और देवकीनंदन ठाकुर) याचिका दायर की है। नोटिस जारी कर उनका ध्यान आकृष्ट किया गया है। अब यह उन्हें नीतिगत निर्णय लेना है हमारा काम खत्म हो चुका है। इस मामले में अब 11 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले वर्ष (2023) में भारत अपने पड़ोसी देश चीन को पीछे छोड़ दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश बन जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया कि नवंबर 2022 के मध्य तक दुनिया की आबादी आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है।
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