India News (इंडिया न्यूज), Sonia Gandhi: क्या तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को पता था कि 2014 का आम चुनाव मुश्किल होने वाला है। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के दम पर इसे नहीं जीता जा सकता था। पत्रकार गौतम लाहरी द्वारा बंगाली भाषा में लिखी गई नई किताब ‘प्रणब मुखर्जी राजनीति और कूटनीति’ में दावा किया गया है कि सोनिया गांधी ने आने वाली स्थिति को भांपते हुए वर्ष 2012 में डॉ. मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाने का फैसला किया था। जबकि वह आगामी चुनावों के मद्देनजर प्रणब मुखर्जी को भारत का प्रधानमंत्री बनाना चाहती थीं। लेकिन यूपीए के सहयोगी दलों और विपक्ष के विरोध के कारण वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकीं। जिसके कारण प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने से चूक गए।

सोनिया गांधी क्या चाहती थीं?

गौतम लाहरी की इस किताब के अनुसार सोनिया गांधी ने अपने फैसले के बारे में प्रणब मुखर्जी को भी बताया था। जिस दिन उन्हें इस बारे में बताया गया, उस दिन वह बेहद खुश हुए थे। उन्होंने अपने आवास पर बंगाली पत्रकारों के एक समूह को मिठाई भी खिलाई थी। इस किताब में कहा गया है कि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल अप्रैल 2012 में खत्म होने वाला था। ऐसे में सोनिया गांधी चाहती थीं कि 2014 के चुनाव से पहले डॉ. मनमोहन सिंह की जगह प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया जाए। ताकि कांग्रेस को उनके राजनीतिक कौशल का फायदा मिल सके। जबकि डॉ. मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति पद के लिए मनोनीत किया जाए।

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किताब में किया गया दावा

उस समय विपक्षी दलों का कहना था कि अगर राष्ट्रपति अल्पसंख्यक समुदाय से लाना है तो एपीजे अब्दुल कलाम को एक बार फिर राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो प्रणब मुखर्जी को उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। इस किताब में दावा किया गया है कि सोनिया गांधी ने इस बारे में प्रणब मुखर्जी से चर्चा की थी। इसके बाद प्रणब मुखर्जी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के लिए राष्ट्रपति चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है। इसकी वजह यह है कि विपक्षी दल उनके नाम पर सहमत नहीं हो रहे हैं। अगर राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार हार जाता है। ऐसी स्थिति में उसके सत्ता में बने रहने पर सैद्धांतिक संकट खड़ा हो सकता है। ऐसे में वह सोनिया गांधी को डॉ. मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाने की सलाह नहीं दे सकते।

प्रधानमंत्री बनना चाहते थे प्रणब मुखर्जी

इस किताब में दावा किया गया है कि प्रणब मुखर्जी वैसे तो प्रधानमंत्री बनने के इच्छुक थे। लेकिन उन्होंने खुद सोनिया गांधी के सामने प्रस्ताव रखा कि अगर उन्हें कोई आपत्ति न हो तो वह राष्ट्रपति पद के लिए अपना नाम देने को तैयार हैं। इसके बाद सोनिया गांधी ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। भाजपा और एनडीए ने भी ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से प्रणब मुखर्जी के नाम को लेकर अपनी सहमति जताई थी। यही वजह है कि प्रणब मुखर्जी भारत के अगले राष्ट्रपति चुने गए और उन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल भी पूरा किया।

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