Punjab Assembly Election 2022:
बड़ा महत्वपूर्ण है प्रकश सिंह बादल के सियासी जीवन में ये चुनाव
95वें साल में प्रवेश के चंद महीनों बाद बड़ी जंग
प्रमोद वशिष्ठ, चंडीगढ़:
पंजाब की सियासत के दमदार हस्ताक्षर प्रकाश सिंह बादल दिसंबर में 94वें वर्ष के हो जाएंगे, 95वें में प्रवेश के चंद महीनों बाद ही उनके लंबे सियासी अनुभव की बड़ी परीक्षा होने वाली है। राजनीतिक पंडित तो इस चुनाव को बड़े बादल के सियासी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव बता रहे हैं। उनका पूरा तजुर्बा चुनाव में देखने को मिलेगा। पांच बार मुख्यमंत्री रहते लगातार दो शानदार पारी खेलने के बाद बड़े बादल का शिरोमणि अकाली दल पांच साल से सत्ता की राजनीति से अज्ञातवास भोग रहा है।
पिछले चुनाव में उनका दल तीसरे पायदान पर छिटक गया था। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस शासन में बादल परिवार ने बड़ा फूंक-फूंक कर कदम रखा है। सुखबीर सिंह बादल हो या हरसिमरत कौर दोनों हर मुद्दे पर डटे दिखाई दिए। बिना देरी किए किसानों के मुद्दे पर भाजपा को बड़ा झटका देते हुए केंद्र से मंत्री पद छोड़ दिया। पंजाब में इस बार बड़े बादल पर प्रमुख नजर है।
1970 में पहली बार भारत की किसी भी राज्य में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने प्रकाश सिंह बादल सबसे उम्र दराज मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। वे ऐसे नेता हैं जिनका नाम भारतीय राजनीति में बड़े सम्मान से लिया जाता है। राजनीतिक तजुर्बे में उनका कोई सानी नहीं। इस बार राज के अंतिम महीनों में कांग्रेस ने पंजाब की सियासत को हिलाकर रख दिया है, समीकरण फेल हैं। ऐसे में राजनीति का तजुर्बा बड़ा महत्वपूर्ण होगा। न केवल सबसे बुजुर्ग बल्कि लंबा सियासी अनुभव प्रकाश सिंह बादल के पास है।
1947 से राजनीति कर रहे बड़े बादल 1957 में विधानसभा के लिए चुन लिए गए थे, इससे पहले वे सरपंच भी रहे। अथाह अनुभव लिए पद्मविभूषण से सम्मानित ये राजनेता बड़ा उलटफेर जरूर करेंगे। बसपा से गठबंधन उनका पहला पासा था कि अजा वोट लेने के लिए कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद पर जातिगत कार्ड खेलना पड़ा। सभी दलों की चौपालों पर बड़े बादल की अगली चाल पर नजर है। ऐसे में उनके राजनीतिक अनुभव का पूरा पिटारा इस चुनाव में खुलना तय है या ये कहें ये चुनाव उनके लिए प्रतिष्ठा से जुड़ा हो सकता है। वर्तमान में पंजाब के तमाम राजनेता राजनीतिक सूझबूझ में बड़े बादल से कोसो दूर हैं।
वे भारतीय राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। उनके राजनीतिक अनुभव का प्रदर्शन इस चुनाव में देखने को मिलेगा, इसलिए भी ये चुनाव आकर्षण का केंद्र रहेगा । बहरहाल, भारतीय राजनीति की इस बड़ी शख्सियत को इस चुनाव में हार-जीत दोनों से ही बड़ा असर पड़ेगा। वे भी शायद इस बात को भलीभांति समझते होंगे कि लंबे सफर में ये चुनाव लंबे अनुभव से ही पार होगा।
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