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Punjab Political Crisis : राहुल की पार्ट 2 की राजनीति के नए प्रयोग से कांग्रेस में हलचल

Punjab Political Crisis : Congress Stirs Up Rahul’s New Use of Part 2 politics

नाराज नेताओं को अमरेंद्र सिंह का ही सहारा
अजीत मेंदोला, नई दिल्ली:

Punjab Political Crisis :  कांग्रेस के पूर्व अध्य्क्ष राहुल गांधी की पार्ट दो की राजनीति के नए प्रयोगों ने पार्टी में हलचल मचा दी है। हालात पार्टी में टूट की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन राहुल पीछे हटें लगता नहीं है। इस बार टूट का केंद्र बिंदु पंजाब बन सकता है। अगर वाकई यह टूट हुई तो गांधी परिवार को बहुत भारी पड़ सकती है। क्योंकि कांग्रेस के पास आज के दिन इंदिरा गांधी जैसा करिश्माई नेता नहीं है जो पार्टी को फिर से खड़ा कर दे और न ही 70 के दशक के जैसे हालात हैं कि कोई विपक्ष ही न हो। आज तो भाजपा जैसे ताकतवर दल के साथ कई क्षेत्रीय दल हैं जो कांग्रेस से ज्यादा मजबूत हैं। ऐसे में राहुल और प्रियंका गांधी के सबको बदल डालने वाला नया प्रयोग परिवार के साथ-साथ पूरी पार्टी को मंहगा पड़ सकता है, क्योंकि पंजाब के फैसलों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। नवजोत सिंह सिद्धू भाई – बहन के लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी करते दिख रहे है। हालांकि पार्टी के कुछ नेता मानते हैं कि कुछ दिन में सब ठीक हो जाएगा। लेकिन मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद अमरिंदर सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर नवजोत सिंह सिद्धू को जिस तरह घेरा, वह कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं थे।

Punjab Political Crisis : कैप्टन की डोभाल से मुलाकर कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी!

इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का इन्हीं मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात करना कांग्रेस के लिए बड़े खतरे की घंटी माना जा रहा है। अमरिंदर सिंह ने खुद कहा कि सुरक्षा के मामलों को लेकर उन्होंने डोभाल को दस्तावेज सौंपे हैं। जानकार मान रहे हैं कि अमरिंदर सिंह ने निश्चित तौर पर सोनिया गांधी को भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की जानकारी दी होगी। उसके बाद भी पंजाब को लेकर गांधी परिवार ने इतना बड़ा फैसला कर डाला, ऐसे में अगर राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद के मुद्दे ने बड़ा रूप लिया तो कांग्रेस का नाराज एक बड़ा धड़ा अमरिंदर सिंह के साथ खड़ा हो जाएगा। वहीं कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अमरिंदर सिंह जिस दिन अधिकृत रूप से कांग्रेस से अलग होंगे या निकाले जाएंगे, उनके खिलाफ पार्टी भी कई मामलों को सार्वजनिक करेगी।
राहुल गांधी पार्ट 2 के प्रयोग में नए ऐसे लोगों की खोज में लगे हैं जो मोदी सरकार के खिलाफ मजबूती से हमला कर सकें। सूत्रों का कहना है राहुल ने यहां तक मन बना लिया है कि अगर उनके फैसलों से कोई सहमत नहीं है तो पार्टी छोड़कर जा सकता है। जानकारों का मानना है कि राहुल भले ही चाहते होंगे कि विरोध करने वाले पार्टी छोड़कर चले जाएं, लेकिन आज ऐसे हालात नहीं हैं कि कांग्रेस यह झटका सहन कर सके। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी का 2019 लोकसभा की हार के बाद से अपनी पार्टी के नेताओं से मोह भंग हो गया।

Punjab Political Crisis : राहुल ने 2004 में युवा टीम तैयार करने का किया था प्रयास

राहुल गांधी ने 2004 में राजनीति में आने के बाद युवा टीम तैयार करने की कोशिश की थी। उस टीम में अधिकांश नेता पुत्रों ने जमकर इंट्री पाई। पहली बार चुनाव जीतने पर कुछ नेता पुत्र केंद्र में मंत्री बने तो कुछ को प्रदेशों की कमान सौंपी गई।अग्रिम संगठनों में भी नेता पुत्र या जुगाड़ वाले हावी हुए। राहुल गांधी को लग रहा था कि उन्होंने अपने पिता राजीव गांधी की तरह टीम तैयार कर ली है, लेकिन 2014 की करारी हार के बाद स्थिति बदलने लगी। राहुल ने अपनी युवा टीम और पुराने चेहरों पर जमकर भरोसा किया। इन नेताओं ने राहुल को समझाया कोई चिंता वाली बात नहीं। 2019 में हम आराम से वापसी करेंगे, लेकिन हुआ एकदम उल्ट, कांग्रेस की करारी हार हुई। राहुल मान बैठे कि भरोसे वाले अधिकांश नेता प्रधानमंत्री मोदी से डरते हैं। उनकी खिलाफत नहीं करते। उनका मोह नेता पुत्रों के साथ पुराने नए सभी से उठने लगा।

Punjab Political Crisis :  कई और युवा चेहरे भी बन सकते कांग्रेस का हिस्सा

सूत्रों का कहना है कि राहुल ने पार्ट 2 पर काम शुरू किया है। पार्ट 2 में उनके साथ नेता पुत्र गिनती के बचे रह गए। राहुल ने ऐसे चेहरों को खोजना शुरू किया जो प्रधानमंत्री मोदी की खिलाफत कर सकते हों। सिद्धू तो 2019 के लोकसभा में साबित कर चुके थे कि उनसे बड़ा हमलावार है ही नहीं। राहुल ने अपने नए प्रयोग और बदलाव की शुरुआत पंजाब से कर डाली। नवजोत सिद्धू जैसे विवादास्पद चेहरे पर दांव खेल दिया। यही नहीं, इसके बाद कन्हैया कुमार जैसे विवादास्पद चेहरे को पार्टी में इंट्री दे दी। जिग्नेश मेवानी भी कांग्रेस का हिस्सा बने। आने वाले दिनों में इसी तरह के कुछ और युवा चेहरे कांग्रेस का हिस्सा बन सकते हैं। कन्हैया कुमार पर राष्ट्रद्रोह जैसे आरोप लगे हैं। कन्हैया कुमार भी सिद्धू की तरह कब क्या बोल दे, कोई नहीं जानता। पहले दिन ही कांग्रेस को डूबता जहाज बोल बैठे। कन्हैया कुमार को लेकर विपक्ष अभी कुछ बोलता पंजाब ने संकट खड़ा कर दिया। पंजाब में राहुल ने हरीश चौधरी जैसे कम अनुभव वाले नेता को आगे कर सही फैसला नहीं किया। हरीश ने ही विधायकों की राहुल से फोन पर बात करवाई, जो सार्वजनिक हो गई। यहीं से खेल बिगड़ा। अमरेंद्र सिंह चौकस हो गए। उन्होंने सारी जानकारी जुटानी शुरू कर दी। यही वजह रही कि पंजाब का फैसला लंबा खिंच गया। इस बीच प्रभारी हरीश रावत अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरते चले गए। जब पंजाब का फैसला हुआ तो बहुत देर हुई और विवाद भी हो गया।

Punjab Political Crisis : सिद्धू के इस्तीफे की घोषणा की बात ने पार्टी की किरकिरी कराईे

इसके बाद में सिद्धू के इस्तीफे की घोषणा ने पार्टी की किरकिरी कराई। कांग्रेस में यह सब फैसले प्रशांत किशोर के राहुल के करीब आने के बाद ही लिए गए। कुछ जानकारों का मानना है प्रशांत ही सबको बदल डालने की सलाह दे रहे हैं, जिससे जब वह कांग्रेस में शामिल हों, कोई बोलने वाला ही न हो। 50 साल से ज्यादा समय जिन नेताओं ने कांग्रेस को दे दिए, वह हैरान और परेशान हैं। युवा और चर्चित चेहरों ने तो कांग्रेस छोड़ दूसरे दलों में जगह बना ली, लेकिन कांग्रेसी विचारधारा के आधे से ज्यादा नेता अभी पार्टी में हैं जो राहुल की नीति से कतई सहमत नहीं हंै। बिना स्थाई अध्यक्ष के पार्टी चलाए जा रहे हैं। ऐसे में हर कोई नेता ऐसे नेतृत्व की तलाश में है जो कांग्रेसी विचारधारा को आगे ले जा सके।
अमरेंद्र सिंह जिस हिसाब से पत्ते फेंट रहे हैं वह नाराज नेताओं के लिये एक किरण के रूप में दिखाई दे रहे है। अमरेंद्र कह चुके हैं कांग्रेस छोड़ेंगे, भाजपा में नहीं जाएंगे। वह कांग्रेस अभी जल्दी में छोड़ेंगे भी नहीं। वह ऐसे हालात कर देंगे, जिससे कांग्रेस की सरकार अपने आप गिर जाए।

Punjab Political Crisis : कांग्रेस सफल या अमरेंद्र सिंह, भविष्य के गर्भ में छिपा

पंजाब में पार्टी का एक बड़ा धड़ा सिद्धू के खिलाफ है। सिद्धू अगर सुपर सीएम बने रहे तो पंजाब कांग्रेस की टूट कांग्रेस के लिए घातक होगी। उधर कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अब कोई विवाद नहीं होगा। मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी नाराज नेताओं को घर-घर जाकर साध रहे हैं, जिससे पार्टी में टूट न हो। इस बीच अमरिंदर सिंह को पार्टी में बनाए रखना है या निकालना है, का फैसला भी पार्टी जल्दी कर देगी। अब ऐसे में आने वाले दिनों में पता चलेगा कि कांग्रेस सफल रही या अमरेंद्र सिंह।

India News Editor

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