India News (इंडिया न्यूज), Purulia Arms Drop: इतिहास कभी भुलाया नहीं जाता है। ऐसी ही घटना भारत के पश्चिम बंगाल ने घटी थी। जिसको चाहकर भी कभी नहीं भुलाया जा सकता है। इस घटना को हम पुरुलिया हथियार कांड के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, डेनमार्क की एक अदालत ने पुरुलिया हथियार मामले के मुख्य आरोपी नील क्रिश्चियन उर्फ किम डेवी को भारत प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है। भारत सरकार करीब दो दशक से किम डेवी को प्रत्यर्पित करने की कोशिश कर रही है और हर बार उसे असफलता का सामना करना पड़ रहा है। इस स्टोरी में हम जानेंगे कौन है किम डेवी? क्या है पुरुलिया हथियार मामला?
क्या है पुरुलिया हथियार मामला?
बता दें कि, 17 दिसंबर 1995 को पाकिस्तान के कराची से एक मालवाहक विमान ने उड़ान भरी। एएन-26 नाम का रूसी मालवाहक विमान लगभग जर्जर हो चुका था। इस विमान को भारतीय वायुक्षेत्र से होते हुए कराची से ढाका जाना था। विमान ईंधन भरने के लिए वाराणसी में उतरा और जब दोबारा उड़ान भरी तो अचानक मूल मार्ग की जगह अपना मार्ग बदल लिया। यह बिहार के गया से होते हुए पश्चिम बंगाल की ओर मुड़ गया और जब पुरुलिया के पास पहुंचा तो उड़ने लगा। विमान से भारी बक्से गिराए जाने लगे। जिनका वजन करीब 4 टन था। तब तक अंधेरा छा चुका था। जिसके बाद विमान के अंदर से आवाज आई मिशन ओवर।
उन बक्सों में क्या था?
दरअसल, जब 18 दिसंबर की सुबह पुरुलिया के लोग अपने खेतों की ओर निकले तो उन्होंने इन बक्सों को देखा। ये बक्से इतने बड़े थे कि दूर से ही दिखाई दे रहे थे। जब लोगों ने पास जाकर बक्सों को खोला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उनमें ऐसे हथियार भरे हुए थे, जिन्हें लोगों ने अब तक सिर्फ़ फ़िल्मों में ही देखा था। इस घटना को नज़दीक से कवर करने वाले चंदन नंदी अपनी किताब द नाइट इट रेनड गन्स: अनरेवलिंग द पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप कॉन्सपिरेसी में लिखते हैं कि उन बक्सों में 300 एके-47 राइफ़ल, 25 9 एमएम पिस्तौल, दो 7.62 स्नाइपर राइफ़ल, 100 एंटी टैंक ग्रेनेड, 10 आरपीजी रॉकेट लॉन्चर, 23800 राउंड गोलियां और नाइट विज़न दूरबीन जैसे हथियार भरे हुए थे। जब तक स्थानीय पुलिस मौके पर पहुँची, तब तक लोग कुछ हथियार अपने साथ ले गए।
इस गलती की वजह से वे कैसे पकड़े गए?
केंद्र सरकार को राज्य सरकार के ज़रिए जब इस बात का पता चला तो सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया। जब रॉ और आईबी जैसी खुफिया एजेंसियां भी यह पता लगाने की कोशिश कर रही थीं कि पुरुलिया में हथियार किसने और क्यों गिराए। इस दौरान एएन-26 कार्गो विमान के बारे में भी सुराग मिले। जांच एजेंसियां इस विमान के बारे में और जांच कर रही थीं, तभी यह विमान फिर से भारत में दिखा। इस बार चेन्नई एयरपोर्ट पर था।
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चंदन नंदी लिखते हैं कि हथियार गिराने वाले लोगों ने फिर से कराची वापस जाने के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र चुना। यहीं उनसे गलती हो गई। पुरुलिया में हथियार गिराने के बाद वे कोलकाता के दमदम एयरपोर्ट गए। वहां ईंधन भरने के बाद वे थाईलैंड गए। वहां से वे चेन्नई लौटे और ईंधन भरने के बाद कराची जा रहे थे। इसी दौरान वे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ गए। जिसके बाद जहाज को मुंबई में उतरने को कहा गया।
कैसे भाग निकला किम डेवी ?
बता दें कि, उस विमान में कुल 8 लोग सवार थे। इस पूरी कहानी का मास्टरमाइंड नील क्रिस्चियन उर्फ किम डेवी था, जो डेनमार्क का नागरिक था। पीटर ब्लीच जो ब्रिटिश नागरिक और हथियारों का डीलर था। ब्लीच ब्रिटिश खुफिया एजेंसी में भी काम कर चुका था। इसके अलावा सिंगापुर का नागरिक दीपक मणिकन जो भारतीय मूल का था और लातविया के पांच क्रू मेंबर जो रूसी भाषा बोलते थे। नंदी लिखते हैं कि सबसे बुरी बात यह थी कि जब विमान मुंबई में उतरा तो वहां कोई पुलिस अधिकारी नहीं था। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते, किम डेवी वहां से भाग गया।
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क्यों गिराए गए हथियार?
किम डेवी ने शुरुआत में दावा किया था कि ये हथियार पश्चिम बंगाल में आनंद मार्ग नामक एक धार्मिक संगठन के लिए गिराए गए थे, जिसकी कम्युनिस्टों से कटु दुश्मनी थी। उसने कहा कि चूंकि वह भी आनंद मार्ग से जुड़ा हुआ है और उनकी मदद करना चाहता था, इसलिए उसने हथियार गिराए। हालांकि, बाद में उसने अपने दावे को वापस लेते हुए दावा किया कि हथियार भारत सरकार की मिलीभगत से गिराए गए थे, क्योंकि केंद्र सरकार बंगाल की कम्युनिस्ट सरकार को गिराना चाहती थी। इसके बाद में आनंद मार्ग ने खुद आगे आकर दावा किया कि उसका इन हथियारों और किम डेवी से कोई लेना-देना नहीं है।
क्या सीआईए शामिल थी?
वरिष्ठ पत्रकार चंदन नंदी ने अपनी किताब में दावा किया है कि भले ही किम डेवी हथियार गिराने के बारे में अलग-अलग दावे करता हो। लेकिन इसके पीछे पश्चिमी खुफिया एजेंसियों, खासकर सीआईए का हाथ था। वे लिखते हैं कि किम डेवी अमेरिका में कम से कम दो मामलों में वांछित था। इसके बावजूद, हथियार गिराने से ठीक पहले वह कम से कम 4 बार अमेरिका गया। यह सीआईए की सुरक्षा के बिना संभव नहीं था। इसके साथ ही कराची एयरपोर्ट पर एएन-26 विमान उपलब्ध कराने वाली एविएशन कंपनी के भी सीआईए से संबंध थे।