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एएसआई ने अदालत में कहा-कुतुब मीनार परिसर में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का नहीं कोई सबूत, जानें फैसले की तारीख

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली। Qutub Minar Controversy: कुतुब मीनार विवाद को लेकर दिल्ली (Delhi) की साकेत अदालत ( Saket court) में मंगलवार को सुनवाई की गई है। बता दें कि कुतुब मीनार (Qutub Minar) में पूजा के अधिकार को लेकर याचिका लगाई गई थी। याचिका में कुतुब मीनार परिसर में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा किया गया है।

9 जून को होगी फैसले की सुनवाई

मंगलवार को जस्टिस निखिल चोपड़ा (Justice Nikhil Chopra) की पीठ के समक्ष मामले में 12 मिनट तक सुनवाई चली। पीठ ने हिंदू पक्ष की पूजा के अधिकार वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है। इस मामले में फैसला 9 जून को आएगा। कोर्ट ने दोनों पक्षों को एक हफ्ते के अंदर ब्रीफ रिपोर्ट जमा करने कहा है।

मस्जिद को तोड़कर मंदिर बनाने का नहीं मिला कोई प्रमाण

Qutub Minar Controversy-Hearing in Delhi’s Saket court

उधर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित मस्जिद किसी मंदिर (Temple in Qutub Minar Complex) को तोड़कर बनाई गई थी। अधिकारियों के अनुसार इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि लोहे का पिलर और मंदिर के अवशेष वहां पहले से मौजूद थे या कहीं बाहर से लाए गए थे।

एएसआई ने कुतुब मीनार में मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग का किया विरोध

एएसआई ने कहा कि कुतुब मीनार कभी भी पूजा का स्थल नहीं था। एएसआई ने कुतुब मीनार के परिसर में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाने की मांग का भी विरोध किया है। उसने कहा कि 1914 से कुतुब मीनार की एक ऐतिहासिक इमारत के रूप में सुरक्षा की जा रही है और इसके स्ट्रक्चर को बदला नहीं जा सकता।

बता दें कि साकेत कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया था कि कुतुब मीनार परिसर में हिंदू (Hindu) और जैन (jain) मंदिर थे जिन्हें तोड़ दिया गया था। वहीं याचिकाकर्ता के द्वारा परिसर में पूजा कि इजाजत भी मांगी गई थी।

एएसआई के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा के बयान से उपजा विवाद

यह विवाद तब शुरू हुआ जब एएसआई के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा (Former Regional Director Dharamveer Sharma) ने दावा किया कि कुतुब मीनार को हिंदू राजा विक्रमादित्य (King Vikramaditya) ने बनवाया था न कि कुतुब अल दीन एबक ने। उनका कहना था कि यह एक सन टावर था।

मस्जिद परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां पाए जाने का भी दावा किया गया था। कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद को 27 जैन मंदिर तोड़कर बनाया गया था। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि पूजा का संवैधानिक अधिकार नहीं दिया गया है।

अगर एक मूर्ति तोड़ दी जाती है तो भी यह अपना देवत्व नहीं खोती है। परिसर में मूर्तियां हैं। कोर्ट ने पहले भी मूर्तियों की हिफाजत को लेकर आदेश दिया था। अगर वहां मूर्तियां हैं तो पूजा का अधिकार भी होना चाहिए।

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ये भी पढ़ें : जानिए कुतुब मीनार का इतिहास और विवाद क्या है?

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