India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: कांग्रेस चुनाव प्रचार के बचे हुए दो दिन में अपनी पूरी ताकत रायबरेली पर लगाने जा रही है। ऐसे संकेत हैं कि शुक्रवार को अभी तक चुनाव से दूर रही कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी चुनावी रैली में शामिल हो रायबरेली और अमेठी दोनों सीटों के लिए वोट देने की मार्मिक अपील कर सकती है। जानकार मान रहे है कि रायबरेली सीट पर इसका व्यापक असर हो सकता है। आई आई टी ग्राउंड पर होने वाली इस रैली में राहुल गांधी,प्रियंका गांधी और सपा नेता अखिलेश यादव भी शामिल हो सकते हैं। रैली का नाम सेवा संकल्प सभा नाम दिया गया। कांग्रेस की यह रैली कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। क्योंकि इसके अगले दिन शनिवार को चुनाव प्रचार बंद हो जायेगा। रायबरेली और अमेठी में 20 मई को वोटिंग होनी है।

कांग्रेस से ज्यादा गांधी परिवार के लिए दोनों सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है। प्रियंका गांधी 6 मई से लगातार दोनों सीट पर मोर्चा संभाली हुई हैं। इसके चलते बाकी जगह वह चुनाव प्रचार में नहीं गई। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी प्रियंका ने उत्तर प्रदेश में अपनी तरफ से पूरी ताकत लगाई थी,लेकिन पूरे यूपी में एक मात्र सीट ही कांग्रेस जीत पाई। उसके बाद अब वह ठीक दो साल बाद रायबरेली और अमेठी का मोर्चा संभाल रही हैं। प्रियंका जितनी मेहनत कर रही हैं शायद इससे पहले गांधी परिवार में किसी ने नहीं की। दिन रात आम जन से संवाद बना रही है।

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चुनाव में कितना लाभ मिलेगा इसका पता तो 4 जून को लगेगा,लेकिन प्रियंका ने परिवार की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगाया हुआ है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपनी टीम के साथ अमेठी की गली गली का दौरा कर रहे है। कांग्रेस के नेता धर्मेंद्र राठौर बताते है अमेठी में तो कांग्रेस की जीत तय है। गांधी परिवार के प्रति आम जन में दिवानगी देखी जा सकती है।

प्रियंका और पूरी कांग्रेस के लिए रायबरेली की जीत सबसे ज्यादा अहम है। क्योंकि इस सीट पर उनके भाई और पार्टी के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे है। शुक्रवार की रैली को सफल बनाने के लिए प्रियंका और पूरी कांग्रेस ने ताकत लगाई हुई है। कांग्रेस की परेशानी यह है कि इन दोनों लोकसभा सीट के तहत आने वाली सीटों पर समाजवादी पार्टी के जो दो विधायक जीते थे वह भी भाजपा के साथ चले गए।

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कांग्रेस तो ब्लाक स्तर भी नहीं जीत पा रही है। यही वजह है कि पिछली बार कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का जीत का अंतर काफी कम हुआ। अब ऐसे में कांग्रेस को जीत के साथ अंतर को भी बढ़ाने की मुख्य चुनौती है। अमेठी की सीट पर तो जीतने भर का लक्ष्य है,लेकिन रायबरेली में बड़ी जीत का लक्ष्य चुनौती है। यह जीत आसान नहीं है। बीजेपी ने दोनों सीटों पर ठीक ठाक घेराबंदी की हुई है। लेकिन कांग्रेस भी इस बार पूरी ताकत से मैदान में। रायबरेली की जिम्मेदारी संभाल रहे छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी अपने भाषणों में वोटरों को राजी करने के लिए तमाम घोषणाएं कर रहे हैं।

आज की रैली में दूसरी बार गांधी परिवार एक मंच पर दिखाई देगा। पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में हुई इंडी गठबंधन की रैली में पूरा परिवार मंच पर दिखाई दिया था,अब दूसरी बार रायबरेली में वोट मांगते हुए एक साथ दिखाई देगा। इस रैली से काफी हद तक संकेत मिल जायेगे कि रायबरेली में इस बार कांग्रेस बड़ी जीत हासिल कर पाएगी या नहीं।

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