Rahul Gandhi Meets Sachin राज्य प्रभार मिलने के आसार

Rahul Gandhi Meets Sachin

अब गहलोत नवरात्रों में करेंगे फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियां
अजीत मेंदोला, नई दिल्ली:

राजस्थान को लेकर चल रही तमाम अटकलों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पितृपक्ष समाप्त होते ही विराम लगा सकते हैं। ऐसे संकेत हैं कि शारदीय नवरात्रों के शुरू में ही गहलोत अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने के साथ ही अधिकांश राजनीतिक नियुक्तियां कर देंगे। ऐसे भी संकेत हैं इसी बीच पूर्व प्रदेश अध्य्क्ष सचिन पायलट के भाग्य का भी फैसला हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सचिन को पंजाब, गुजरात और बंगाल में से किसी राज्य के प्रभार की जिम्मेदारी दी जा सकती है। बंगाल और गुजरात खाली हैं। जबकि हरीश रावत से पंजाब का प्रभार वापस लेकर उन्हें पूरी तरह से उत्तराखंड भेजे जाने की संभावना है।

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पंजाब में सचिन सिद्धू के साथ बैठ सकते हैं फिट (Rahul Gandhi Meets Sachin)

अनुमान लगाया जा रहा है कि पंजाब में सचिन सिद्धू के साथ फिट बैठ सकते हैं। बता दें कि शुक्रवार को ही सचिन की राहुल गांधी से आधा घंटा हुई मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। सचिन पायलट की राहुल गांधी से यह मुलाकात लंबे अंतराल के बाद हुई। समझा जा रहा है कि होने वाले मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद राजस्थान को लेकर चल रही तमाम चर्चाएं भी समाप्त हो जाएंगी। पंजाब में घटे राजनीतिक घटनाक्रम के बाद राजस्थान में भी राजनीति होने लगी थी। ऐसा माहौल बनाया जा रहा था कि राजस्थान में कुछ भी ठीक नहीं है।

मंत्रिमंडल फेरबदल को जल्द अंतिम मिलेगा (Rahul Gandhi Meets Sachin)

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी आभास था कि राज्य में फिर अस्थिरता फैलाने की कोशिश हो रही है। सो बीमारी से उभरते ही उन्होंने विधायकों को भरोसे में ले फैसले लेने शुरू कर दिए। विधायकों ने भी उन पर पूरा भरोसा जताया। इसके साथ गहलोत ने संकेत दे दिए कि राजनीतिक नियुक्तियों के साथ-साथ मंत्रिमंडल फेरबदल को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके साथ जिला व ब्लॉक कार्यकारिणी भी घोषित कर दी जाएगी। वहीं प्रदेश प्रभारी अजय माकन भी कह चुके थे कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अस्वस्थ होने के चलते राजस्थान के फैसलों में देरी हो गई। वर्ना पहले ही फेरबदल व नियुक्तियां अब तक हो जाती। ऐसे संकेत हैं कि इस माह के आखिर में माकन अपने जयपुर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत से की जाने वाली नियुक्तियों को अंतिम रूप दे सकते हैं। जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री गहलोत अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से सूची को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली का दौरा भी कर सकते हैं। गहलोत अक्टूबर में ही प्रदेशभर के दौरे पर भी निकलेंगे।

एक तबका लगातार अस्थिरता फैलाने की कोशिश करता रहा (Rahul Gandhi Meets Sachin)

दरअसल राजस्थान में पिछले साल गहलोत सरकार को गिराने में नाकाम रहने के बाद से एक तबका लगातार राज्य सरकार में अस्थिरता फैलाने की कोशिश करता रहा है। आए दिन उस हिसाब से सरकार पर संकट की खबरें सुनी जाती हैं। यह बात गांधी परिवार भी समझता है। यही वजह है कि गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश करने वालों से गांधी परिवार काफी नाराज बताया जाता है। राहुल गांधी ने उस समय खुद स्वीकार भी किया कि अगर अशोक गहलोत सीएम नहीं होते तो उनकी सरकार गिर गई थी। गहलोत की सूझबूझ से सरकार बची। इसमें कोई दो राय नहीं है कि राज्यों में कांग्रेस की सरकारें जहां भी चल रही हैं, वह एक तरह से कांग्रेस व गांधी परिवार की सरकारें हैं। उन्हें अस्थिर करने का मतलब कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ धोखा।

पंजाब का घटनाक्रम राजस्थान से अलग (Rahul Gandhi Meets Sachin

पंजाब में जो कुछ घटना क्रम हुआ, वह राजस्थान से बिल्कुल अलग है। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू ने कभी भी अपनी सरकार को गिराने जैसा कोई काम नहीं किया, बल्कि गांधी परिवार का भरोसा जीतकर अमरेंद्र सिंह को चुनोती दी। सिद्धू ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर खुलकर हमला बोला और गांधी परिवार का भरोसा जीता। उसी के चलते पुराने नेताओं के तमाम विरोध के बाद सिद्धू को प्रदेश अध्य्क्ष बनाया गया। यहीं पर अमरेंद्र सिंह से चूक हो गई। उन्होंने गांधी परिवार को चुनोती दे दी। उसी का परिणाम रहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा, जबकि राजस्थान में मामला इसके उलट है।
मुख्यमंत्री गहलोत गांधी परिवार के सबसे करीबी और भरोसेमंद माने जाते हैं। इसके बाद भी राजस्थान को लेकर यही धारणा बनाई जा रही है कि राजस्थान कांग्रेस में घमासान चल रहा है। पार्टी आलाकमान के सूत्रों की मानें तो राजस्थान में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा, बल्कि कोशिश होगी कि मिलकर भाजपा में चल रही खींचतान का लाभ उठाया जाए। जानकार मान रहे हैं कि राजस्थान भाजपा में कुछ भी ठीक नहीं है। चुनाव करीब आते पार्टी में लड़ाई और बढ़ेगी। क्योंकि भाजपा का बड़ा धड़ा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की खिलाफत में लगा है। इससे भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस ने एक जुटता से चुनाव लड़ा तो वापसी के आसार बन सकते हैं।

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