India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan Election 2023: राजस्थान को राजसी आन-बान और शान का प्रदेश माना जाता है। देश की आजादी के 75 वर्ष बाद भी इल राज परिवारों को लेकर लोगों का आकर्षण कम नहीं हो रहा है। यही कारण है कि पूर्व राजपरिवारों के सदस्य अब राजनीति में हाथ आजमा रहे हैं। साथ हीं जीत कर विधानसभा और लोकसभा में भी पहुंच रहे हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव की बात करें तो जोधपुर को छोड़ कर राजस्थान के सभी बड़े पूर्व राज परिवारों के सदस्य राजमहलों से निकल कर जनता के हाथ जोड़ वोट देने की विनती करते नजर आ रहे हैं। इनमें जयपुर उदयपुर कोटा बीकानेर धौलपुर और भरतपुर राजपरिवार शामिल है।
आजादी के बाद बनी स्वतंत्र पार्टी में राजस्थान के कई राज परिवार सक्रिय रहें, क्योंकि इसे राजाओं की पार्टी मानी जाती थी। जयपुर राजघराने की पूर्व राजमाता गायत्री देवी 1962 और 1967 में इसी पार्टी से सांसद तक रही है। लम्बे समय बाद एक बार फिर उदयपुर राजघराने की राजनीति में एंट्री हुई। इसी परिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह की भी किसी ना किसी दल से जुड़ने की चर्चा चल रही थी।
वहीं जोधपुर राजघराने का कोई सदस्य हालांकि इस चुनाव में नजर नहीं आ रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले दिनों जोधपुर के दौरे के समय हवाई अड्डे पर जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह की पीएम मोदी से मुलाकात की एक फोटो काफी वायरल हुआ था। जिससे कयास लगाए जा रहे थे कि जोधपुर राज परिवार से भी कोई सदस्य इस बार चुनाव लड़ सकता है।
बहरहाल चुनाव मैदान में दिख रहे चेहरों की बात करें तो धौलपुर राजघराने से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे जयपुर राजघराने से सांसद दिया कुमारी, बीकानेर राजघराने से राजकुमारी सिद्धि कुमारी, उदयपुर से विश्वराज सिंह कोटा से कल्पता राज और भरतपुर राजघराने से मौजूदा मंत्री विश्वेन्द्र सिंह अलग-अलग सीटों से चुनाव मैदान में है। इनमें विश्वराज सिंह को छोड़ कर सभी पहले से राजनीति में है और इस बार फिर अपना भाग्य आजमा रहे है।इनमें से कुछ बेहद रोचक मुकाबले में फंसे हुए हैं।
राजस्थान के पूर्वी हिस्से में स्थिति धौलपुर राजपरिवार की सदस्य वसुंधरा राजे झालावाड जिले की झालरापाटन सीट से चुनाव मैदान में है। वे इस सीट से पांचवीं बार विधायक का चुनाव लड़ रही है। इससे पहले वे यहां से सांसद भी रह चुकी हैं। यहां से उन्हें कोई बड़ी चुनौती कभी मिली नहीं है। हालांकि पिछले चुनाव में जरूर एक बड़ा चेहरा मानवेन्द्र सिंह के रूप में उनके सामने था। मानवेन्द्र सिंह पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र है। इस बार भी कांग्रेस ने उनके सामने रामलाल चौहान को मैदान में उतारा है। इस बार भी राजे के लिए यहां से जीत में कोई खास मुश्किल नहीं बताई जा रही है।
राजपरिवार की बेटी सिद्धीकुमारी भी चौथी बार बीकानेर पूर्व से चुनाव मैदान में हैं। वे लगातार तीन बार इस सीट से जीत हासिल कर चुकी हैं। कांग्रेस को हर बार उनके सामने नया प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारना पड़ रहा है। इस बार यशपाल गहलोत को मैदान में उतारा गया है। पहले दो चुनाव उन्होंने करीब 30 हजार के मार्जित से जीते, लेकिन पिछले चुनाव में उनकी जीत का मार्जित सात हजार का था। ऐसे में इस बार रोचक मुकाबला होने की सम्भावना है।
बेटी दिया कुमारी सवाई माधोपुर से विधायक रह चुकी है। अभी राजसमद सीट से सांसद हैं। पार्टी ने पहली बार उन्हें उनके घर यानी जयपुर की विद्याधर नगर सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। उनके लिए पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजदी का टिकट काटा गया। दिया कुमारी का मुकाबला यहां कांग्रेस के प्रदेश कोषाध्यक्ष सीताराम अग्रवाल से है,जो पिछली बार भी यहां से प्रत्याशी थे लेकिन हार गए थे। दिया कुमारी ने अब तक दो अलग-अलग सीटों से चुनाव जीत कर अपनी ताकत साबित की है। इस बार तो घर की सीट से चुनाव लड रही है। ऐसे में उन्हें अग्रवाल के मुकाबल भारी तो माना जा रहा है लेकिन अग्रवाल भी यहां काफी समय से सक्रिय द एसे में मुकाबला रोचक हो सकता है।
कल्पना राजे राजस्थान के दक्षिण में स्थित कोटा राजघराने की बहु हैं। कल्पना राजे यहां के पूर्व महाराजा इज्ये राज सिंह की पत्नी हैं। इज्ये राज सिंह कांग्रेस से कोटा के सांसद रह चुके हैं। लेकिन बाद में भाजपा में आ गए थे और उनकी पत्नी कल्पना राजे इस चुनाव में दूसरी बार लाडपुरा सीट से भाग्य आजमा रही हैं। पिछली बार उन्होंने कांग्रेस के गुलनाज को 21 हजार वोटों से हराया था। इस बार उनके सामने कांग्रेस ने एक बार फिर एक मुस्लिम प्रत्याशी नईमुद्दीत गड्डू को चुनाव मैदान में उतारा है। इसी सीट पर बीजेपी के बागी भवानी सिंह राजावत भी चुनाव मैदान में हैं जो पहले यहां से विधायक हुआ करते थे और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नजदीकियों में गिने जाते रहे हैं। ऐसे में यहां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति है।
मशहूर उदयपुर राजघराने के सदस्य विश्वराज सिंह महाराणा प्रताप के वशंज हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहे है। उनके पिता महेंद्र सिंह मेवाड जरूर कांग्रेस और भाजपा में सक्रिय रहे हैं। लेकिन उनका प्रवेश राजनीति में पहली बार हुआ है और पार्टी ने उन्हें नाथद्वारा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी ने प्रवेश के साथ ही उन्हें चुनाव मैदान में तो उतार दिया, लेकिन नाथद्वारा उनके लिए कठिन सीट साबित हो सकती है। क्योंकि यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी चुनाव मैदान में है। यह सीट जोशी की परम्परागत सीट रही है। ऐसे में यहां मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है।
राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह अभी राजस्थान सरकार में पर्यटन मंत्री हैं। दो बार विधायक रह चुके हैं और लगातार तीसरी बार डीग-कुम्हेर सीट से भाग्य आजमा रहे हैं। लगातार दूसरी बार उनका मुकाबला भाजपा के डॉ शैलेष सिंह से है जो पूर्व मंत्री डॉ दिगम्बर सिंह के पुत्र हैं। ऐसे में मुकाबाला रोचक होने के आसार है।
Also Read:
India News (इंडिया न्यूज)Makeup Side Effects: ज़्यादातर लोगों का मानना है कि जब महिलाएं मेकअप…
‘कोई मुझे गोली मार देगा…’, क्यों घबराईं Raveena Tandon, आखिर किस वजह से सताया मौत…
CM Mamata Banerjee: राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक में सीएम ममता बनर्जी ने…
Norway Princess Son Arrest: नॉर्वे की क्राउन प्रिंसेस मेटे-मैरिट के सबसे बड़े बेटे बोर्ग होइबी…
India News Bihar (इंडिया न्यूज)Khelo India Games: बिहार ने पिछले कुछ सालों में खेलों की…
Baba Vanga Predictions 2025: बाबा वंगा ने 2025 में कुल 5 राशियों के लिए भारी…