Rajinikanth Biography. Carpenter to Conductor जानिए रजनीकांत के बारे में सबकुछ

Rajinikanth Biography. Carpenter to Conductor
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

साउथ फिल्म स्टार रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के अवार्ड देने की घोषणा की गई है। रजनीकांत भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली फिल्म सितारों में से एक हैं। रजनीकांत की व्यापक लोकप्रियता उन्हें और ही महान बनाती है। अभिनय के अलावा, रजनीकांत ने पटकथा लेखक, फिल्म निर्माता और एक पार्श्व गायक के रूप में भी काम किया है।

रजनीकांत का बचपन

रजनीकांत का जन्म 12 दिसम्बर 1950 को कर्नाटक के एक मराठी परिवार में शिवाजी राव गायकवाड़ के रूप में हुआ था। उनके पूर्वज तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले के नाचिकुप्पम गाँव के रहने वाले हैं। वह अपने माता जीजाबाई और पिता पुलिस कांस्टेबल रामोजीराव गायकवाड़ की चौथी संतान थे। रजनीकांत की माता का नाम रामबाई था जो कि एक गृहणी थी और पिता रामोजीराव गायकवाड एक पुलिस कांस्टेबल थे। रजनीकांत ने बचपन में ही महज 5 साल की उम्र में अपनी माँ को खो दिया था।

बचपन से ही कला के प्रति था विशेष रुझान

रजनीकांत ने प्राथमिक शिक्षा गाविपुरम गवर्नमेंट कन्नड़ मोर्डन प्राइमरी स्कूल से प्राप्त की है। रजनीकांत उस समय पढ़ाई-लिखाई में विशेष रूचि रखते थे। रजनीकांत की बचपन से ही आध्यात्म में भी खासी रूचि रही हैं, जिस कारण उनकी बाकि की शिक्षा रामकृष्ण मठ में हुई।

रजनीकांत का बचपन से ही कला के प्रति विशेष रुझान था, जिसके चलते वे मठ में होने वाले कई सांस्कृतिक प्रोग्राम में भी भाग लेते रहते थे, जिस से उनकी रूचि कला के क्षेत्र में और गहरी होती चली गई। इसके बाद की शिक्षा रजनीकांत ने आचार्य पाठशाला पब्लिक स्कूल से प्राप्त की। स्कूल में पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने नाटक आदि में भाग लेना जारी रखा।

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कारपेंटर से लेकर कंडक्टर तक नौकरी की

शिक्षा पूरी होने के बाद अपने राजनीकांत ने एक कारपेंटर की नौकरी की थी। इसके बाद कुली का काम किया और इसी बीच में बैंगलूर ट्रांसपोर्ट सर्विस में भर्ती निकली, जिसमे रजनीकांत को सफलता मिली और वे बी. टी. कंडक्टर बन गए। कंडेक्टर की सर्विस के दौरान भी उन्होंने अपने अभिनय तथा कला की रूचि को बनाए रखा, जिसके परिणामस्वरूप उनकी कार्यशैली सभी सहकर्मियों से भिन्न थी। उनका अंदाज ही निराला था, एक अलग ही शैली में यात्रियों से बात करना, उनके टिकिट काटना, अपनी शैली में सिटी बजाना, ये सब यात्रियों को और सहकर्मियों को खूब लुभाता था। इस दौरान वे नाटक व स्टेज शो में भाग लेते रहते थे।

यहां से शुरू हुआ फिल्मी करियर

रजनीकांत को फिल्मों में अभिनय करने का शौक तो था ही, जिसके चलते उन्होंने 1973 में एक्टिंग में डिप्लोमा लेने के लिए मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया और इसी इंस्टिट्यूट में उन्हें अभिनय के क्षेत्र में या यूं कहे कि फिल्मी दुनिया में अपना पहला कदम रखने का मौका मिला। यहां इंस्टिट्यूट में ही एक नाटक के दौरान उन पर फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर की नजर पड़ी, जो कि उस समय के बहुत ही मशहूर निर्देशकों में शामिल थे। वो कहावत सच ही हैं कि एक हीरे की परख जौहरी को ही होती हैं।

बालाचंदर न केवल उनसे प्रभावित हुए बल्कि रजनीकांत को अपनी फिल्म में एक अभिनय का प्रस्ताव भी दिया। इस तरह बालाचंदर जी उन्हें उस फिल्मी दुनिया में ले आए। ये तो महज एक सफर की शुरूवात ही थी, अभी तो करने के लिए बहुत कुछ बाकि था। रजनीकांत को बालचंदर जी ने ही तमिल भाषा सिखने की सलाह दी, जिस पर रजनीकांत ने अमल भी किया।

2000 में पद्म भूषण और 2016 में मिला था पद्म विभूषण

रजनीकांत को भारत सरकार द्वारा 2000 में पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार सिनेमा जगत में भारत में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। यह पुरस्कार पहली बार एक्ट्रेस देविका रानी को दिया गया था। वहीं, हाल के वर्षो में यह पुरस्कार पाने वालों में अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, फिल्म निमार्ता के. विश्वनाथ और मनोज कुमार शामिल हैं।

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