इंडिया न्यूज, Ranveer Singh Nude Photoshoot Case: हाल ही में वॉलीबुड कलाकार रणवीर सिंह ने एक मैगजीन के लिए न्यूड फिक्चर शूट करवाया था, जो उनके लिए जी का जंजाल बन चुकी है। इस फिक्चर को लेकर सोशल मीडिया पर हो रहीं आलोचनाओं के साथ अब कलाकार को कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि इस मामले में मुंबई में रणवीर के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है। तो आइए जानेंगे देश में न्यूड फिक्चर शेयर करना क्या अपराध है। देश में अश्लीलता को लेकर क्या है कानून।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
इस समय बॉलीवुड कलाकार रणवीर सिंह न्यूड फोटोशूट कराने के बाद काफी सुर्खियों में हैं। इस फिक्चर में रणवीर सिंह बिना कुछ पहने एक कालीन पर लेटे दिख रहे हैं। वहीं एक और फिक्चर में वह केवल अंडरवियर पहने नजर आ रहे हैं।
अश्लीलता कानून क्या है?
सूत्रों अनुसार शिकायतकतार्ओं ने रणवीर सिंह के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी कानून और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत केस दर्ज करने की भी मांग कर चुके हैं। कलाकार के खिलाफ शिकायत के आधार पर मुंबई पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 292 (अश्लील किताबों आदि की बिक्री), 293 (युवाओं को अश्लील सामग्री की बिक्री), 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से कहे गए शब्द, संकेत करना या काम करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। साथ ही कलाकार के खिलाफ धारा 67 (ए) के तहत अश्लील सामग्री को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर भी कार्रवाई की जा सकती है।
रणवीर के खिलाफ क्यों दर्ज हुई एफआईआर?
रणवीर सिंह के न्यूड फोटोशूट के खिलाफ मुंबई के चेंबूर में एफआईआर दर्ज कराई गई है। शिकायकर्ता ने आरोप लगाया है कि इस फोटोशूट से रणवीर ने महिलाओं की भावनाएं आहत की हैं। ये एफआईआर मुंबई स्थित श्याम मंगाराम फाउंडेशन नामक एनजीओ के संचालक ने दर्ज कराई है।
शिकायतकर्ता ने रणवीर के खिलाफ आईटी एक्ट समेत आईपीएस की कई धाराओं के तहत केस दर्ज करने की मांग की थी। इसी शिकायत के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। साथ ही रणवीर के खिलाफ महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे के तहत भी केस दर्ज करने की मांग की गई थी।
रणवीर सिंह के खिलाफ इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ केस?
रणवीर सिंह के खिलाफ इंडियन पीनल कोड यानी आईपीसी की 4 धाराओं-292, 293, 509 और 67ए के तहत केस दर्ज हुआ है।
- आईपीसी 292: ये कानून अश्लील मटेरियल की बिक्री, प्रदर्शन और सकुर्लेशन पर रोक लगाता है और इसके उल्लंघन पर सजा का प्रावधान है। इस कानून के मुताबिक, कोई किताब, पैम्फ्लेट, पेपर, राइटिंग, ड्राइंग, पेंटिंग, रिप्रेजेंटेशन, फिगर, या कोई अन्य चीज अश्लील मानी जाएगी, अगर वह कामुक है या कामुकता बढ़ाती है। साथ ही अगर ऐसी चीजों का प्रभाव ऐसा है, जिसे पढ़कर, सुनकर और देखकर लोग भ्रष्ट हो सकते हैं, तो उन्हें अश्लील मटेरियल माना जाएगा। इस तरह के मामलों में पहली बार दोषी मिलने पर 2 साल कैद और 2000 रुपए के जुमार्ने की सजा होती है। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 5 साल कैद और 5000 रुपए तक के जुमार्ने की सजा है।
- आईपीसी 293: अगर 20 साल से कम उम्र के किसी व्यक्ति को अश्लील सामग्री बेचता, दिखाता या बांटता है तो इस कानून के तहत उसके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। पहली बार दोषी पाए जाने पर 3 साल कैद और 2000 रुपए की जुमार्ने की सजा है। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की सजा और 5 हजार रुपए जुमार्ना हो सकता है।
- आईपीसी 509: अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की शील या लज्जा भंग करने वाली कोई चीज दिखाता या ऐसा कुछ बोलता या दिखाता है, जिससे महिला की गरिमा का अपमान हो तो इस कानून के तहत केस दर्ज होता है। इसमें 3 साल तक की कैद हो सकती है। साथ ही जुमार्ने भी देना पड़ सकता है।
- आईटी एक्ट 67(ए): अगर कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक मीडियम से किसी ऐसे कंटेंट का प्रकाशन करता है, जो कामुक हो और कामुकता को बढ़ावा देने वाला हो तो इस कानून के तहत केस दर्ज होता है। इस मामले में दोषी पाए जाने पर 5 साल की कैद और 10 लाख तक जुमार्ना लग सकता है। वहीं, दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 7 साल की कैद और 10 लाख रुपए तक के जुमार्ना की सजा हो सकती है।
रणवीर सिंह के मामले में क्या होगा?
एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने कहा है कि वे मामले की जांच कर रहे हैं। रणवीर सिंह के खिलाफ तत्काल कोई कार्रवाई की संभावना नहीं है। सूत्रों मुताबिक पुलिस मामले में अभिनेता का बयान दर्ज करेगी। रणवीर के पास अदालत का दरवाजा खटखटाने और केस खत्म करने की मांग करने का विकल्प भी है।
देश में अश्लीलता को लेकर कानून पर स्पष्ट नहीं?
देश में अश्लीलता को लेकर कानून तो है लेकिन इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया है। आईपीसी सेक्शन 292 और आईटी एक्ट सेक्शन 67 में उन मटेरियल को अश्लील बताया गया है जो कामुक है, या कामुकता पैदा करता है और इसे पढ़ने, देखने और सुनने वाले को बिगाड़ दें। हालांकि कानून में कामुक, कामुकता किसे माना जाए इसको लेकर साफ परिभाषा नहीं है और इसकी व्याख्या करने का अधिकार कोर्ट पर छोड़ दिया गया है।
भारत में 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अवीक सरकार वर्सेस स्टेट आफ बंगाल केस की सुनवाई करते हुए कहा, ”अश्लीलता के सवाल को उस संदर्भ में देखा जाना चाहिए जिसमें तस्वीर दिखाई गई हो और वह मैसेज जो वह देना चाहती हो।”
सुप्रीम कोर्ट ने ये कमेंट जर्मनी के टेनिस खिलाड़ी बोरिस बेकर की अपनी मंगेतर बारबरा फेल्टस के साथ सेमी-न्यूड पोज देने वाली एक तस्वीर से जोड़ा था। उस तस्वीर में बेकर पेशे से हीरोइन जर्मन-अमेरिकन मूल की बारबरा के स्तनों को अपने हाथ से ढंकते हुए नजर आ रहे थे।
विवाद के बाद भारत में एक अखबार और मैगजीन ने बेकर और बारबरा की उन तस्वीरों को फिर से पब्लिश कर दिया था। इसी को लेकर पेपर और मैगजीन के खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 292 और इंडिसेंट रिप्रेजेंटेशन आफ वीमेन (प्रॉहिबिशन) एक्ट, 1986 के सेक्शन 4 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी। इस एक्ट के तहत महिलाओं की अश्लील तस्वीरों के प्रकाशन पर रोक है। सुप्रीम कोर्ट ने बेकर और बारबरा की उस तस्वीर को अश्लील नहीं माना था।