India News(इंडिया न्यूज), Ratan Tata And Noel Tata Relationship : दिवंगत रतन टाटा की वसीयत 25 अक्टूबर को खोली गई। वसीयत सामने आने के बाद कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। जैसे, रतन टाटा के छोटे भाई जिमी, दोनों बहनें शिरीन और डायना, ड्राइवर, कुक, बटलर को संपत्ति में से कुछ न कुछ दिया गया है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि वसीयत में रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को कुछ भी नहीं दिया गया है। ऐसे में दोनों भाइयों के बीच संबंधों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। वसीयत में जिक्र न होने की वजह से यह माना जा रहा है कि दोनों भाइयों के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। शायद यही वजह रही कि रतन टाटा ने अपने जीवित रहते हुए कभी नोएल को टाटा समूह में उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया।
कैसे थे दोनों भाइयों के बीच संबंध?
नोएल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। बेशक, वे दोनों ही नवल टाटा के बेटे थे, लेकिन अलग-अलग माताओं के, जिसकी वजह से उनके बीच बातचीत अक्सर दूर-दूर तक होती रही है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, रतन टाटा और नोएल टाटा के बीच संबंध जटिल रहे हैं।
नोएल टाटा को बना सकते थे अपना उत्तराधिकारी
रतन टाटा ने नोएल के अनुभव को लेकर चिंताओं का हवाला देते हुए टाटा समूह में नेतृत्व की भूमिका के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन नहीं किया। उनके उत्तराधिकारी के सवाल पर
उन्होंने कहा कि उनकी मृत्यु के बाद यह काम टाटा ट्रस्ट करेगा। हालांकि, उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाने का अधिकार उनके पास था। लेकिन हाल के दिनों में दोनों भाइयों के बीच सुलह की खबरें आई थीं। नोएल अपने बड़े भाई रतन के सबसे करीबी लोगों में से एक बन गए थे। कॉरपोरेट चुनौतियों के दौरान वे उनका साथ देते थे।
वसीयत में दोनों सौतेली बहनों का नाम
दूसरी ओर, अगर रतन टाटा की दो सौतेली बहनों शिरीन और डायना की बात करें तो उनके साथ उनके अच्छे संबंध रहे हैं। रतन टाटा हमेशा अपनी दोनों बहनों से मिलने जाते थे। दोनों बहनें धर्मार्थ कार्यों में गहराई से शामिल रही हैं, इसका रतन पर काफी प्रभाव पड़ा। उन्होंने अपनी बहनों की बदौलत ही कल्याणकारी कार्य शुरू किए। लेकिन वसीयत में नोएल का नाम न होने से दोनों भाइयों के बीच तनाव के सवाल उठने लगे हैं।
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