इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
भारतीय सेना के पूर्वी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलीता ने कुछ दिन पहले एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि “चीन की सेना अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर अपनी ओर तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहा है।” जनरल कलिता के इस बयान के बाद अब कुछ सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें दिखाई दे रहा है कि लद्दाख की पैंगॉन्ग त्सो लेक (Pangong Tso Lake) में चीन पुल का निर्माण कर रहा है।
बता दें कि पैंगॉन्ग त्सो झील पर चीन ये दूसरा पुल बना रहा है। झील पर चीन का पहला पुल बनकर तैयार हो गया है। जानकारी के अनुसार चीन नया पुल लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) से 20 किलोमीटर दूर पर बना रहा है।
LAC पर चीन की गतिविधियों पर नजर रखने वाले रिसर्चर डेमियन सिमोन ने ट्विटर पर कुछ सैटेलाइट तस्वीरें साझा की हैं। इन तस्वीरों में दिख रहा है कि चीन झील पर एक और पुल बना रहा है। रिसर्चर ने दावा किया है कि “चीन पुल के बगल में ही इस पुल को बना रहा है और ये काफी बड़ा पुल है, जिसे भारी हथियार और भारी सैन्य वाहनों को गुजारने के मकसद से तैयार किया जा रहा है।” भारत भी युद्ध या किसी भी आपात की स्थिति से निपटने के लिए पूर्वी लद्दाख में अपनी तरफ पुल, सड़क और टनल बना रहा है। पूर्वी लद्दाख में मई 2020 से भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव चल रहा है।
पूर्वी लद्दाख के इलाके में भारत और चीन के बीच तनाव दो साल से ज्यादा समय से चल रहा है। जून 2020 में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी के पास दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी। दोनों देशों के बीच इस तनाव को कम करने के लिए 15 दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन तनाव पूरी तरह ख़तम नहीं हुआ। आज भी LAC पर भारत और चीन के 50 से 60 हजार जवान तैनात हैं।
दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में कम से कम 12 जगहों पर विवाद चल रहा है। जिनमें से एक पैंगॉन्ग त्सो झील को लेकर भी है। यह झील करीब 4,270 मीटर की ऊंचाई पर है, लंबाई 135 किमी, पूरा क्षेत्र 600 वर्ग किमी का है। झील के दो-तिहाई हिस्से पर चीन का कब्जा है। भारत के पास 45 किमी का हिस्सा है।
भारत की पड़ोसी मुल्क चीन के साथ 3,488 किमी लंबी सीमा लगती है। जिसके तीन हिस्से हैं। पहला ईस्टर्न सेक्टर, जो सिक्किम और अरुणाचल में है। दूसरा मिडिल सेक्टर, जो हिमाचल और उत्तराखंड में है। तीसरा वेस्टर्न सेक्टर, जो लद्दाख में आता है। सिक्किम और अरुणाचल से लगने वाली सीमा की लंबाई 1,346 किमी है। हिमाचल और उत्तराखंड से लगी सीमा 545 किमी लंबी है। लद्दाख के साथ चीन की 1,597 किमी लंबी सीमा है।
केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि “चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी के हिस्से पर दावा करता है। लद्दाख का करीब 38 हजार वर्ग किमी का हिस्से पर चीन ने कब्ज़ा कर रखा है। वर्ष 1963 में हुए एक समझौते में पाकिस्तान ने पीओके का 5,180 वर्ग किमी चीन को दे दिया था। जिसके बाद भारत के 43,180 वर्ग किमी पर चीन ने कब्जा किया हुआ है।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद काफी पुराना है। जनवरी 1959 में चीन के राष्ट्रपति झोऊ एन-लाई ने दावा किया था कि चीन के करीब 13 हजार वर्ग किमी के इलाके पर भारत ने कब्ज़ा किया है। यही पहली बार था जब चीन ने आधिकारिक तौर पर भारत के साथ सीमा विवाद उठाया था। झोऊ ने कहा था कि वो “मैकमोहन रेखा (Macmahon Line) को नहीं मानते।”
बता दें कि, मैकमोहन रेखा 1914 में तय हुई थी। उस समय ब्रिटिश इंडिया के विदेश सचिव हेनरी मैकमोहन ने ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच 890 किमी की लंबी सीमा खींची थी। इसे ही मैकमोहन रेखा का नाम दिया गया है। उस समय अरुणाचल को भारत का ही हिस्सा बताया गया था। लेकिन 1947 में आजादी के बाद चीन ने कहा कि “अरुणाचल तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा है। तिब्बत पर उसका कब्जा है, इसलिए अरुणाचल भी उसका हुआ।”
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