इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Relief To RIL From SC) : सुप्रीम कोर्ट से आरआइएल अपने ही शेयर के अधिग्रहण मामले में राहत मिल गई है। दरअसल, शीर्ष न्यायालय ने सेबी को निर्देश दिया है कि वो आरआइएल के द्वारा मांगे गए कुछ दस्तावेजों को कंपनी को सौंपे। गौरतलब है कि ऐसा आरोप हैं कि कंपनी ने साल 1994 से लेकर 2000 के बीच अपने ही शेयरों के अधिग्रहण में अनियमितता बरती थी। हालांकि आरआइएल का दावा है कि जिन दस्तावेजों की मांग की गई है वो प्रमोटर्स और कंपनी को इन आरोपों से मुक्त कर देंगे।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पहले हाई कोर्ट में की थी अपील
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस मामले में सबसे पहले हाई कोर्ट में अपील की थी। जब वहां से उसे राहत नहीं मिली तो उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आरआइएल ने अपनी अपील में सेबी के कुछ रिकार्ड मांगे थे। इसके साथ ही अनियमितता को लेकर सेबी के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट के जज बीएन श्रीकृष्णा और पूर्व आइसीएआइ प्रमुख वाईएच मालेगम की रिपोर्ट में दी गई टिप्पणियों की प्रति भी मांगी थी।
प्रमोटर और कंपनी ने नहीं तोड़ा है कोई नियम
कंपनी ने बताया कि इन दस्तावेजों से यह साफ हो जाएगा कि प्रमोटर और कंपनी ने कोई नियम नहीं तोड़ा है। इससे पहले सेबी ने जनवरी 2019 में उन नियमों का हवाला दिया और दस्तावेज देने से मना कर दिया था, जिसके अनुसार कोई भी आरोपी सेबी से मामले की जानकारी नहीं मांग सकता है।
क्या है मामला ?
साल, 2002 में देश के प्रमुख चार्टर्ड एकाउंटेंट एस गुरुमूर्ति ने 1994 में जारी किए गए दो एनसीडी के प्रिफरेंशियल प्लेसमेंट में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कंपनी के प्रमोटर्स सहित 98 के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। सेबी ने जांच में पाया था कि इन एनसीडी को साल 2000 में वोटिंग राइट्स रखने वाले शेयरों में बदल दिया गया।
उनके अनुसार इस प्रक्रिया में कई अनियमितता बरती गई। हालांकि 2002 में सरकार ने अपनी जांच में साफ किया कि इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के द्वारा किसी पक्ष को कोई पैसा नहीं दिया गया, इसलिए कंपनीज एक्ट का उल्लंघन नहीं होता है। हालांकि 2011 में सेबी ने कहा कि प्रमोटर ने टेकओवर नियमों का उल्लंघन किया है।