इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Repo Rate): बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करने के लिए आरबीआई कई कदम उठा रहा है। इसी के तहत आज फिर से आरबीआई ने रेपो रेटे में इजाफा किया है। खास बात ये है कि इस साल मई के बाद से लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में इजाफा किया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा किया, जिससे यह 4.90 फीसदी से बढ़कर 5.40 फीसदी हो गया है।
इससे पहले जून में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वॉइंट और मई में 40 बेसिस प्वॉइंट की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं आरबीआई ने देश की GDP ग्रोथ का अनुमान पहले की तरह 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है। लगातार छठी बार महंगाई की दर आरबीआई की तय सीमा छह फीसदी से अधिक रही है। इससे पहले मई महीने में खुदरा महंगाई दर 7.04 थी। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय बैंक आरबीआई ने साल 2022-23 के लिए महंगाई दर के अनुमान को भी 5.7 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्वाभाविक रूप से वैश्विक आर्थिक स्थिति से प्रभावित हुई है। हम उच्च मुद्रास्फीति की समस्या से जूझ रहे हैं। हमने वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान 3 अगस्त तक 13.3 अरब अमेरिकी डॉलर के बड़े पोर्टफोलियो का प्रवाह देखा है।
जानिए कितना असर पड़ेगा
मान लो किसी शख्स ने 7.55% के रेट पर 20 साल के लिए 30 लाख रुपए का हाउस लोन लिया है। उसकी लोन की ईएमआई 24,260 रुपए है। उसे इस दर से 20 साल में उसे 28,22,304 रुपए का ब्याज देना होगा। यानी, उसे 30 लाख के बदले कुल 58,22,304 रुपए चुकाने होंगे।
रेपो रेट से ईएमआई पर बदलाव क्यों होता है
जानना जरूरी है कि रेपो रेट वो दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। वहीं जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। यह फिलहाल 3.35 प्रतिशत है। जब रेपो रेट कम होते हैं तो बैंक भी ग्राहकों के लिए ब्याज दरों को कम करते हैं। इससे ईएमआई भी कम होती है। वहीं इसके उल्ट जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है।
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