India News (इंडिया न्यूज),Lok Sabha: आवास और शहरी मामलों पर स्थायी समिति ने 10 दिसंबर को लोकसभा में अपनी पहली रिपोर्ट प्रस्तुत की। यह रिपोर्ट 2024-25 के लिए मंत्रालय की अनुदान मांगों पर आधारित है और भारत में शहरीकरण की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करती है। रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से शहरी जनसंख्या में 29.10% की वृद्धि हुई है, जिसमें सिक्किम जैसे राज्य और दमन एवं दीव जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है।
मंत्रालय के लिए ₹82,576.57 करोड़ का बजट आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.04% अधिक है। हालांकि, बजट उपयोग में कमी एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि अक्टूबर 2024 तक केवल 30% से कम राशि का उपयोग हो सका। प्रमुख योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) और स्मार्ट सिटी मिशन धीमी प्रगति से प्रभावित हुईं। इसका कारण नियमों का पालन करने में देरी और योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधाएं हैं। शहरी परिवहन के लिए ₹24,931.98 करोड़ का दूसरा सबसे बड़ा आवंटन किया गया है, जो मुख्य रूप से मेट्रो परियोजनाओं के लिए है। लेकिन यहां भी अक्टूबर तक केवल 45% राशि का उपयोग हो सका।
समस्याओं के समाधान के लिए मंत्रालय ने “जस्ट-इन-टाइम” फंड रिलीज़ की नई योजना, एसएनए स्पर्श मॉडल, लागू करने की बात कही। इसका उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और फंड वितरण में सुधार करना है। समिति ने शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के लिए तकनीकी और वित्तीय क्षमता को बढ़ाने की सिफारिश की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2036 तक भारत में 600 मिलियन शहरी निवासियों की संभावना है, जिसके लिए $840 बिलियन के बुनियादी ढांचा निवेश की आवश्यकता होगी। शहरी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बेहतर योजना और क्रियान्वयन की सख्त आवश्यकता है।