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Republic Day Parade: गणतंत्र दिवस परेड से जुड़े 15 रोचक तथ्य, इसे जान हो जाएंगे हैरान

Shanu kumari • LAST UPDATED : January 23, 2024, 4:55 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Republic Day Parade: देश में 26 जनवरी 2024 को 75 वां गणतंत्र दिवस समारोह मनाया जाना है। जिसे लेकर तैयारी शुरु हो गई है। इस दिन प्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों चीफ गेस्ट के रुप में मौजूद रहेंगे। इस बार परेड के समय में बदलाव किया गया है। बता दें कि हर बार गणतंत्र दिवस के दिन अलग थीम होता है। इस बार की थी “आम लोगों की भागीदारी” है।

परेड के बारे में 15 रोचक तथ्य

1.हम सभी जानते हैं कि हर साल 26 जनवरी की परेड का आयोजन राजपथ पर किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता हैं कि 1950 से 1954 तक राजपथ परेड का आयोजन केंद्र नहीं था? इससे पहले परेड इरविन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित की गई थी। 1955 में राजपथ परेड का स्थायी स्थल बन गया। राजपथ को पहले ‘किंग्सवे’ नाम से जाना जाता था। जिसे अब कर्तव्यपथ के नाम से जाना जाता है।

2. हर साल 26 जनवरी की परेड के लिए किसी देश के प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति/या शासक को अतिथि के रूप में बुलाया किया जाता है। पहली परेड 26 जनवरी 1950 को आयोजित की गई थी। इसमें इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।1955 में राजपथ पर पहली परेड आयोजित की गई थी। जिसमें पाकिस्तान के गवर्नर-जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को बुलाया गया था।

3. 26 जनवरी की परेड कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रपति के आगमन के साथ होती है। सबसे पहले राष्ट्रपति के घुड़सवार अंगरक्षक राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हैं। इस दौरान राष्ट्रगान बजाया जाता है। साथ ही 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है। आपको एक खास बता दें कि इस दौरान 21 तोपों से फायरिंग नहीं की जाती? इसके बजाए भारतीय सेना की 7-तोपें, जिन्हें “25-पॉन्डर्स” के नाम से जाना जाता है उसका उपयोग किया जाता है। जिससे 3 राउंड फायरिंग की जाती है।

दिलचस्प तथ्य यह है कि बंदूक की सलामी का समय राष्ट्रगान बजाए जाने के समय से मेल खाता है। पहली फायरिंग राष्ट्रगान के शुरू होने पर होती है और आखिरी फायरिंग ठीक 52 सेकंड के बाद होती है। ये तोपें 1941 में बनाई गई थीं और सेना के सभी औपचारिक कार्यक्रमों में शामिल होती हैं।

4. परेड में भाग लेने वाले सभी लोग रात 2 बजे तक तैयार हो जाते हैं और 3 बजे तक राजपथ पर पहुंच जाते हैं। हालाँकि, परेड की तैयारी पिछले वर्ष जुलाई में शुरू होती है। जब सभी प्रतिभागियों को उनकी भागीदारी के बारे में औपचारिक रूप से सूचित किया जाता है। अगस्त तक वे अपने संबंधित रेजिमेंट केंद्रों पर परेड का अभ्यास करते हैं और दिसंबर तक दिल्ली पहुंच जाते हैं। 26 जनवरी को औपचारिक रूप से प्रदर्शन करने से पहले प्रतिभागियों ने 600 घंटे तक अभ्यास करते है।

5. भारत की सैन्य शक्ति दिखाने वाले सभी टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और आधुनिक उपकरणों के लिए इंडिया गेट के परिसर के पास एक विशेष शिविर का आयोजन किया जाता है। प्रत्येक तोप की जांच प्रक्रिया और सफेदी का काम ज्यादातर 10 चरणों में किया जाता है लेकिन इस बार शायद यह अलग होगा।

6. 26 जनवरी की परेड की रिहर्सल के लिए हर ग्रुप 12 किलोमीटर की दूरी तय करता है। लेकिन 26 जनवरी के दिन ये 9 किलोमीटर की दूरी ही तय करते हैं। परेड के पूरे रास्ते में न्यायाधीश बैठे रहते हैं, और 200 मापदंडों के आधार पर प्रत्येक भाग लेने वाले समूह का मूल्यांकन करते हैं। इस निर्णय के आधार पर, “सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग समूह” का खिताब प्रदान किया जाता है।

7. 26 जनवरी परेड कार्यक्रम में की जाने वाली प्रत्येक गतिविधि शुरुआत से लेकर अंत तक पूर्व-व्यवस्थित होती है। इसलिए, छोटी सी गलती और कम से कम मिनटों की देरी भी आयोजकों को भारी पड़ सकती है।

8. परेड के आयोजन में भाग लेने वाले प्रत्येक सेना के जवान को 4 स्तरों की जांच से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा, उनके हथियारों की गहन जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके हथियारों में जिंदा गोलियां तो नहीं भरी हुई हैं।

9. परेड में शामिल झांकियां लगभग 5 किमी/घंटा की गति से चलती हैं। ताकि लोग उन्हें अच्छी तरह से देख सकें। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन झांकियों के ड्राइवर इन्हें एक छोटी सी खिड़की से चलाते हैं। 26 जनवरी 2022 को गणतंत्र दिवस परेड में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और नौ मंत्रालयों और विभागों को अपनी झांकियां दिखाने के लिए चुना गया है। इनमें अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, मेघालय, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं।

10. इस आयोजन का सबसे आकर्षक हिस्सा “फ्लाईपास्ट” है। “फ्लाईपास्ट” की जिम्मेदारी पश्चिमी वायु सेना कमान पर है। जिसमें लगभग 41 विमानों की भागीदारी शामिल है। परेड में शामिल विमान वायुसेना के अलग-अलग केंद्रों से उड़ान भरकर तय समय पर राजपथ पर पहुंचते हैं।

11. “एबाइड विद मी” गाना हर गणतंत्र दिवस परेड कार्यक्रम में बजाया जाता है क्योंकि यह महात्मा गांधी का पसंदीदा गाना था। लेकिन अब इसे केंद्र सरकार ने हटा दिया है।

12. परेड में भाग लेने वाले सेना के जवान स्वदेश निर्मित इंसास राइफलों के साथ मार्च करते हैं। जबकि विशेष सुरक्षा बल के जवान इजराइल में बनी टेवर राइफलों के साथ मार्च करते हैं।

13. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 2014 की परेड में आयोजित परेड कार्यक्रम में करीब 320 करोड़ रुपये का खर्च आया था। 2001 में यह खर्च करीब 145 करोड़ रुपये था। इस तरह 2001 से 2014 तक 26 जनवरी की परेड पर होने वाला खर्च 54.51 फीसदी बढ़ गया है।

14. मलिक गुलाम मोहम्मद (पाकिस्तान के पहले गवर्नर-जनरल) 1955 में राजपथ परेड के पहले मुख्य अतिथि थे ।

15. बीटिंग रिट्रीट समारोह 29 जनवरी को विजय चौक पर भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना बैंड के प्रदर्शन के साथ आयोजित किया जाता है। यह भारत में गणतंत्र दिवस समारोह के अंत का प्रतीक है।

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