India News (इंडिया न्यूज), RK Sinha: बिहार की राजधानी पटना में रविवार 3 नवंबर को हुई एक घटना के बाद आरके सिन्हा अचानक सुर्खियों में आ गए हैं। दरअसल, चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर पटना सिटी के आदि चित्रगुप्त मंदिर नोजार घाट पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अचानक भाजपा नेता और व्यवसायी आरके सिन्हा के पैर छुए। इस घटना के बाद से हर कोई आरके सिन्हा के बारे में जानने की कोशिश कर रहा है। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, आरके सिन्हा का पूरा नाम रवींद्र किशोर सिन्हा है। वे भारत की सबसे बड़ी निजी सुरक्षा प्रदाता फर्म सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (एसआईएस) के संस्थापक हैं।
आरके सिन्हा ने 1974 में पटना में भारत की सबसे बड़ी निजी सुरक्षा प्रदाता फर्म सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (एसआईएस) की नींव रखी थी। आज उनकी कंपनी भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में सेवाएं दे रही है। फोर्ब्स के मुताबिक आरके सिन्हा की मौजूदा नेटवर्थ 8300 करोड़ रुपये (1 बिलियन डॉलर) है। आरके सिन्हा की कंपनी एसआईएस ने कैश लॉजिस्टिक्स सेवाएं प्रदान करने हेतु स्पेन की प्रोसेगुर के साथ एक संयुक्त उद्यम स्थापित किया है। बतातें चलें कि, एक सफल व्यवसायी के साथ-साथ एक राजनेता भी है। वो भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक है और राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।
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आरके सिन्हा का जन्म पटना में सीमित संसाधनों वाले परिवार में हुआ था। उन्होंने 1971 में राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल की। उन्होंने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए पढ़ाई पूरी करने के बाद एक प्रकाशन में प्रशिक्षु रिपोर्टर के रूप में अंशकालिक नौकरी करना शुरू कर दिया। उसी दौरान भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया। वे युद्ध के मोर्चे पर गए और रिपोर्टिंग की। यहां उनकी दोस्ती बिहार रेजिमेंट के सैनिकों से हुई। युद्ध समाप्त होने के बाद वे 1973 में शुरू हुए जेपी आंदोलन के समर्थक बन गए। जिसकी वजह से उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
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आरके सिन्हा ने भूतपूर्व सैनिकों से संपर्क किया। उनमें से कई रिटायरमेंट के बाद काम की तलाश में थे। फरवरी 1974 में पटना में दो कमरों वाले गैराज में एसआईएस की स्थापना की। उन्होंने बिहार रेजिमेंट में अपने संपर्कों से मुलाकात की और रिटायर कर्मियों का ब्योरा लिया। उनसे संपर्क किया और उन्हें अपनी कंपनी में काम करने के लिए राजी किया। एसआईएस की स्थापना के एक साल के अंदर ही कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 250-300 हो गई और टर्नओवर एक लाख रुपए तक पहुंच गया।
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