इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Russia Ukraine War Continues: पिछले काफी दिनों से रूस और यूक्रेन के बीच आपसी तनातनी चल रही थी। इसका परिणाम ये हुआ कि बीते कल रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों इस हमले को रोकने के लिए रूस पर कई तरह के सख्त पाबंदियां भी लगा दी थीं, लेकिन उसका रूस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। तो चलिए जानते हैं कि रूस पर किन देशों ने लगाया था प्रतिबंध, क्या लगी थी पाबंदियां और क्यों रहीं बेअसर।
इन देशों ने लगाई थीं पाबंदियां?
Russia was banned by countries like America, Germany, Britain, Japan, European Union, Ukraine and Australia
अमेरिका ने रूस के दो सरकारी बैंकों को वर-यूरोप में कारोबार से रोका: 2014 में जब क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद भी अमेरिका ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। इन प्रतिबंधों में रूस के मिलिट्री इक्विपमेंट का एक्सपोर्ट भी शामिल था। एक्सपर्ट का मानना है कि ये प्रतिबंध रूस को आक्रामक कार्रवाई से रोकने में नाकाम रहे हैं।
- रूस ने यूक्रेन के दो प्रांतों लुहांस्क और डोनेट्स्क को स्वतंत्र देश घोषित किया है। यहां पर पहले से ही अमेरिकी निवेश नहीं है। ऐसे में अमेरिका की ओर से प्रतिबंध लगाए गए हैं, उन्हें सिर्फ प्रतीकात्मक ही माना जा रहा है। रूस ने यूक्रेन में हमला करके ये सिद्ध भी कर दिया है।
Did the sanctions affect the economy of Russia?
- वहीं देखा जाए तो 2014-15 में मंदी के चलते रूस आर्थिक रूप से काफी कमजोर था। रूस में इस दौरान बड़े पैमाने पर करेंसी डिवैल्युएशन हुआ और रूस के सेंट्रल बैंक ने उस समय रूबल को बचाए रखने के लिए बड़ी मात्रा में फोरेक्स रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार को जला दिया था।
- पिछले सात वर्षों में मॉस्को अपने फाइनेंशियल सिस्टम को स्टेबलाइज करने में सक्षम रहा है। साथ ही फरवरी की शुरूआत में रूस के पास लगभग 635 अरब डॉलर का सोना और विदेशी मुद्रा भंडार था। ऐसे में रूसी बैंकों के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से मार्केट में अस्थिरता बढ़ सकती है।
Russia Ukraine War Continues
जर्मनी ने नार्ड स्ट्रीम दो गैस परियोजना रोकी: नॉर्ड स्ट्रीम 2 एक गैस पाइपलाइन है, जो बाल्टिक सागर से रूस को जर्मनी से जोड़ती है। आॅस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहैमर ने सोमवार को कहा था कि रूस के यूक्रेन पर हमला करने की स्थिति में यूरोपीय संघ द्वारा तैयार किए गए प्रतिबंधों में नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन भी है। हालांकि रियल्टी में इस पर प्रतिबंध इतना आसान नहीं है, क्योंकि 11 अरब डॉलर की गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट ने पहले ही जर्मनी और अमेरिका के बीच एक दरार पैदा कर दी है। वहीं अगर इस पर प्रतिबंध लगा तो डिप्लोमैटिक तकरार शुरू होने की संभावना है।
- रूस की सरकारी कंपनी गजप्रोम का यह प्रोजेक्ट पश्चिमी साइबेरिया से जर्मनी तक है। यह पहले से उपयोग में आने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन की क्षमता को दोगुना कर देती है। नॉर्ड स्ट्रीम 2 उस पाइपलाइन को भी बायपास करता है, जो यूक्रेन से होकर गुजरती है। अभी जर्मन रेगुलेटर्स ने इसे प्रोजेक्ट को फाइनल मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में प्रतिबंध की कोई बात ही नहीं है।
ब्रिटेन ने रूसी बैंकों और तीन रूसी अरबपतियों पर पाबंदियां लगाईं: ब्रिटेन ने गेन्नादी टिमशेंको समेत तीन अरबपतियों पर प्रतिबंध लगाया है। इनके रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करीबी संबंध हैं। इनके अलावा रोसिया, आईएस बैंक, जेनबैंक, प्रोमसव्याजबैंक और ब्लैक सी बैंक, यानी कुल पांच बैंकों पर भी प्रतिबंध लगाया है।
- इन बैंकों को कर्ज देने वाले तुलनात्मक रूप से छोटे हैं और केवल सैन्य बैंक प्रोम्सव्याज बैंक ही रूसी सेंट्रल बैंक के प्रमुख बैंकों की सूची में शामिल है। बैंक रोसिया पर रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर के अधिकारियों से संपर्क रखने के कारण 2014 से ही अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है।
जापान ने रूसी बॉन्ड और लोगों की देश में एंट्री बैन की: यूरोपीय यूनियन : यूक्रेन के दो क्षेत्रों को स्वतंत्र देश बनाने के पक्ष में वोट करने वाले 351 राजनेताओं व रक्षा और बैंकिंग सेक्टर के 27 रूसी अफसरों पर प्रतिबंध लगाया। इनमें सरकार को धन देने वाले बैंक और अलग हो रहे क्षेत्रों में काम करने वाली संस्थाएं हैं। प्रतिबंधों के दायरे में रूसी संसद के निचले सदन के वे सारे सदस्य भी हैं, जिन्होंने अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने के प्रस्ताव पर वोट दिया था।
रूस पर यूक्रेन और आस्ट्रेलिया ने क्या लगाए प्रतिबंध?
आपको बता दें कि यूक्रेन ने रूस के 351 नेतओं की एंट्री पर रोक लगाई और आॅस्ट्रेलिया ने रूसी सुरक्षा परिषद के आठ सदस्यों की देश में एंट्री पर रोक लगाई। कहते हैं कि इन सभी देशों ने जो भी प्रतिबंध लगाए हैं रूस पर इसका व्यापक असर नहीं पड़ने वाला है।
अमेरिका रूस पर क्यों नहीं कर रहा सख्त कार्रवाई? (Why America is not taking strict action on Russia)
- अमेरिका में 1970 के बाद महंगाई दर 7.5 फीसदी के साथ उच्चतम स्तर पर है। ऐसे में अगर अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए तो उनके बीच अरबों डॉलर के व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। बाइडेन सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा और भड़क जाता, क्योंकि उठठ पोल के मुताबिक हर 10 में से 7 अमेरिकियों को लगता है कि महंगाई के लिए सरकार ने उचित कदम नहीं उठाए हैं। अमेरिका अपनी मांग का 3 फीसदी यानी 7 लाख बैरल क्रूड आॅयल रूस से आयात करता है। ये प्रभावित होता।
- एव अपनी जरूरत की 40फीसदी गैस रूस से मंगाता है। रूस उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। जर्मनी को जरूरत की 65 फीसदी तक प्राकृतिक गैस रूस से लेनी होती है। आॅस्ट्रेलिया ने रूस को 2020 में 68 करोड़ डॉलर का निर्यात किया था यानी उसके हित भी जुड़े हुए हैं।
क्या इन पाबंदियों के लिए रूस तैयार है? (Russia Ukraine War Continues)
- एक्सपर्ट बताते हैं कि रूसी संस्थाएं अब आठ साल पहले की तुलना में पाबंदियों का सामना करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार हैं। दूसरी तरफ रूसी सरकारी बैंकों ने पश्चिमी बाजारों से खुद को थोड़ा दूर कर लिया है। रूस ने 2014 से ही अमेरिकी ट्रेजरी और डॉलर से दूरी बना ली है। रूस ने अपनी जमा पूंजी डॉलर से ज्यादा सोने और यूरो में एकत्र की है।
- रूस के पास कुछ दूसरे मजबूत आर्थिक सुरक्षाएं भी हैं। इनमें तकरीबन 635 अरब डॉलर की ठोस विदेशी मुद्रा, लगभग 100 डॉलर प्रति बैरल तेल की कीमतें और जीडीपी के साथ कर्ज का कम औसत जो 2021 में 18 फीसदी था।
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कौन सी पाबंदियों का रूस पर असर पड़ता?
- अमेरिका उन टेक्नोलॉजीज पर भी पाबंदी लगा सकता था, जिनके लिए रूस का अमेरिकी कंपनियों से करार है। इन टेक्नोलॉजीज में वे भी शामिल हैं, जो जहाज उड़ाने और स्मार्टफोन चलाने में काम आती हैं।
- वर डॉलर में लेन-देन रोक सकता है: अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के लिए अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। साथ ही यह लेन-देन अमेरिकी फाइनेंशियल सिस्टम से होता है। अगर अमेरिका इस पर रोक लगा देता तो रूस का डॉलर में ट्रांजेक्शन बुरी तरह प्रभावित होता।
- स्विफ्ट फाइनेंशियल सिस्टम से भी रूस को बाहर कर सकते थे: विदेश पैसे भेजने व विदेश से पैसे लेने की क्षमता प्रभावित होती, क्योंकि स्विफ्ट से एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसे भेजे जाते हैं। हालांकि रूस ने एसएफएस सिस्टम डेवलप किया है। जो ऐसे हालात से निपटने के लिए ही बनाया गया है।
क्या रूस पर लगा पाबंदियों का भारत पर पड़ेगा असर? ( Russia Ukraine War Continues)
- रूस की यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई के जवाब में अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर प्रतिबंधों का ऐलान किया है। कहा जा रहा है कि यूक्रेन पर रूसी हमले का असर भारत पर भी पड़ेगा। एक्सपर्ट का कहना है कि इससे अमेरिका भारत और रूस के बीच एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीद सौदे पर सख्ती कर सकता है।
- अभी तक अमेरिका ने इस सौदे के खिलाफ सिर्फ मौखिक बयान ही दिए हैं। अमेरिका ने रूस के साथ भारत के इस सौदे को लेकर प्रतिबंध जैसी कोई बात नहीं की है। हालांकि रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद जो स्थिति बन रही है, उसमें आने वाले दिनों में अमेरिका भारत के खिलाफ कड़ा ऐक्शन लेने पर मजबूर हो सकता है। ऐसे में भारत को रूस से एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल की और यूनिट नहीं मिल पाएगी।
2014 में रूस पर लगी पाबंदियों से ये कितने अलग हैं?
- अब तक जो कदम उठाए गए हैं, उनका तो असर बहुत मामूली ही होगा। रूस के बड़े बैंक वैश्विक अर्थ तंत्र में गहराई तक घुसे हुए हैं। उन पर प्रतिबंध लगाने का असर सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों पर भी होगा। इस हफ्ते जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका ध्यान छोटे कर्जदाताओं पर है। जो प्रतिबंध 2014 में क्रीमिया को यूक्रेन से अलग करने पर लगे थे, यह उनसे भी कम हैं। हां यह जरूर है कि उस वक्त के कई प्रतिबंध अब भी जारी हैं।
- उस समय पश्चिमी देशों ने कुछ खास लोगों को काली सूची में डाल दिया था। इसका मकसद रूस के सरकारी वित्तीय संस्थाओं को पश्चिम के पूंजी बाजार तक पहुंच को सीमित करना था। इसमें बड़े सरकारी कर्जदाताओं को निशाना बनाया गया और साथ ही तकनीक के व्यापार पर भी बहुत सारी सीमाएं लगा दी गईं। ब्रिटेन के उठाए नए कदमों में सबसे बड़े सरकारी बैंकों स्बरबैंक और वीटीबी पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है। इतना ही नहीं रूसी कंपनियों के लिए पूंजी में कटौती या फिर तथाकथित रूसी ओलिगार्क को ब्रिटेन से निकालने जैसी भी कोई बात नहीं कही गई है।
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