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Russia Ukraine War vs United Nations : क्या रूस से वीटो पावर छीनकर सुरक्षा परिषद से किया जाएगा बाहर?

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Russia Ukraine War vs United Nations: रूस और यूक्रेन के आपसी हमले से दुनिया में उथल-पुथल मच गई है। वैसे तो रूस-यूक्रेन के बीच कई माह से तनाव चल रहा था। वहीं अब यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देश रूस पर दबाव बनाने के लिए रोक लगा रहे हैं, साथ ही ब्रिटेन ने कहा कि रूस से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता को छीन लेना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि कैसे रूस से वीटो पावर छीन सकते हैं व रूस को यूएनएससी से बाहर कर सकते हैं। रूस ने बिना किसी प्रस्ताव के सुरक्षा परिषद में सोवियत संघ की जगह कैसे ली साथ ही सुरक्षा परिषद क्यों बनाई।

Russia Ukraine War vs United NationsRussia Ukraine War vs United Nations

किसी देश को यूएन से बाहर करने की प्रक्रिया क्या?

  • सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों को हटाने के लिए कोई सीधा मैकेनिज्म ही नहीं है। (यूएन) यूनाइटेड नेशन मतलब संयुक्त राष्टÑ के चार्टर में भी इसका कोई जिक्र नहीं है। जबकि यूनाइटेड नेशन से किसी देश को निकालने के लिए एक प्रक्रिया है। इसके लिए सुरक्षा परिषद की सिफारिश के आधार पर यूनाइटेड नेशन महासभा में वोटिंग होती है। लेकिन अभी तक ऐसा कभी हुआ नहीं है।
  • वहीं रूस सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। इसलिए उसके पास वीटो पावर भी है। रूस को निकालने के लिए पहले सुरक्षा परिषद से सिफारिश होनी चाहिए, जबकि रूस खुद ऐसी सिफारिश होने नहीं देगा। ऐसे में इस प्रक्रिया के जरिए रूस को बाहर नहीं किया जा सकता।

क्या यूएनएससी के स्थायी सदस्य देशों में बदलाव हुआ?

  • अभी तक सुरक्षा परिषद में शामिल पांच स्थायी सदस्यों में से किसी को कभी बाहर नहीं किया गया है। हालांकि, इनमें शामिल दो देशों को बदला गया है। पहला बदलाव 1971 में हुआ जब ताइवान वाले रिपब्लिक आॅफ चीन को हटाकर बीजिंग स्थित पीपुल्स रिपब्लिक आफ चीन को शामिल किया गया।
  • दूसरा बदलाव 1991 में सोवियत संघ के बिखरने के बाद हुआ। 1991 में अल्मा-अता प्रोटोकॉल पर सोवियत संघ के अंत की घोषणा की गई थी। इस घोषणा पर अधिकांश देशों ने साइन कर सहमति जताई थी कि रूस को सोवियत संघ की जगह स्थायी सदस्य बनाया जाए।

क्या रूस यूनाइटेड नेशन से बाहर हो सकता?

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा रूस को यूनाइटेड या यूएनएससी से निकालने का प्रस्ताव पारित करे तो निश्चित ही स्थायी सदस्य होने के नाते रूस वीटो करके इस प्रस्ताव को रोक देगा। ऐसे में महासभा इसी प्रस्ताव को दोबारा लाए और प्रस्ताव को दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिले तो रूस को सुरक्षा परिषद से बाहर किया जा सकता है।
  • इस मामले को इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस में भी ले जाया जा सकता है। अगर इंटरनेशनल कोर्ट फैसला सुनाता है कि सुरक्षा परिषद का कोई सदस्य यूनाइटेड नेशन चार्टर के खिलाफ जाकर युद्ध छेड़ता है तो यूनाइटेड नेशन में उसकी सदस्यता अवैध है, तब भी रूस की सदस्यता अवैध घोषित हो सकती है। यूके्रन के तर्क के आधार पर रूस की सदस्यता के खिलाफ कार्यवाही शुरू हो सकती है। यूक्रेन का कहना है कि रूस को कभी भी सोवियत संघ का उत्तराधिकारी नहीं बनाया गया था।

क्यों रूस को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के लिए यूनाइटेड नेशन में फैसला नहीं लिया गया? ( Russia Ukraine War vs United Nations)

  • यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यूक्रेनी राजदूत सर्गेई क्रिस्लिट्स्या ने रूस को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने पर सवाल उठाया। क्रिस्लिट्स्या ने यूनाइटेड नेशन सेक्रेटरी एंतोनियो गुतारेस से एक दस्तावेज सभी सदस्य देशों को बांटने को कहा। दरअसल, यह दस्तावेज वह कानूनी ज्ञापन है जो 19 दिसंबर 1991 को संयुक्त राष्ट्र यानी यूनाइटेड के लीगल काउंसल यानी वकील ने लिखा था।
  • इसमें रूस को सोवियत संघ के उत्तराधिकारी के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल करने की अनुमति मांगी थी। यूक्रेन का कहना है कि सोवियत संघ से अलग हुए देशों ने 1991 में घोषित किया था कि सोवियत संघ का अस्तित्व नहीं रहा। ऐसे में रूस को सोवियत संघ की जगह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य कैसे बना दिया गया? जबकि सोवियत संघ से अलग हुए बाकी देशों का भी स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने का कानूनी दावा बनता था।
  • वहीं, रूस को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के लिए यूनाइटेड महासभा ने कभी कोई फैसला नहीं लिया। सोवियत संघ के टूटने के बाद भी यूनाइटेड चार्टर में बदलाव नहीं किया गया। चार्टर में आज सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में सोवियत संघ का नाम है, रूस का नहीं।
  • इससे उलट संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में शुरू से शामिल रिपब्लिक आफ चाइना यानी 1949 की कम्युनिस्ट क्रांति से पहले के चीन की जगह कम्युनिस्ट चीन यानी पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना यानी मौजूदा चीन को 1971 में मिल सकी। मौजूद कम्युनिस्ट चीन ने इसके लिए 21 बार वोटिंग की अपील की थी। आखिरकार चीन को 76 के मुकाबले 35 देशों के समर्थन से यूनाइटेड में रिपब्लिक आफ चाइना की जगह मिली। वोटिंग में 17 देशों ने हिस्सा नहीं लिया था।

संयुक्त राष्ट्र की नींव रखने का कारण क्या था? ( Russia Ukraine War vs United Nations)

  • साल 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद दुनिया शांति चाहती थी। इसके बाद 50 देशों के प्रतिनिधियों ने मिलकर एक चार्टर पर हस्ताक्षर कर नई अंतरराष्ट्रीय संस्था की नींव रखी थी। इसे ही आज यूनाइटेड नेशन कहते हैं।
    यूनाइटेड नेशन के छह अंग हैं। इनमें से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएनएससी की जिम्मेदारी दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की है। इसके लिए वो प्रभावित देशों में पीस कीपिंग फोर्स भेजते हैं।
  • बता दें कि उम्मीद की गई थी कि यह संस्था पहले और दूसरे विश्व युद्ध जैसा कोई तीसरा विश्व युद्ध नहीं होने देगी, लेकिन आज कई एक्सपर्ट आगाह करते हुए कह रहे हैं कि यूक्रेन पर रूस का हमला तीसरे विश्व युद्ध की शक्ल ले सकता है। ऐसे में यह विडंबना ही है कि जब यूक्रेन पर रूस हमला कर रहा था तो उस समय वह यूएनएससी की अध्यक्षता भी कर रहा था, जबकि रूस को इस समय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है।

Russia Ukraine War vs United Nations

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Suman Tiwari

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