इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
SAARC Smmit तालिबान सार्क देशों की बैठक में शामिल नहीं होगा। पाकिस्तान ने उसे इसमें सीट देने का अनुरोध किया था लेकिन उसकी इस मांग को ठुकरा दिया गया है। शनिवार क सार्क देशों के विदेश मंत्रियों बैठक होगी। सार्क की अगुआई कर रहे नेपाल ने भी पाकिस्तान की उक्त मांग को ठुकरा दिया है।
उसने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की अपदस्थ सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले गुलाम इसाकजई को लिखित आश्वासन प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान ने तालिबान को बैठक में शामिल होने पर जोर दिया, लेकिन कोई अन्य देश इस मांग पर सहमत नहीं हुआ।
SAARC Smmit तालिबान की गारंटी नहीं दे सके सार्क सदस्य
सूत्रों ने कहा कि सार्क सदस्य पाकिस्तान के अनुरोध पर आम सहमति तक नहीं पहुंच सके या तालिबान की गारंटी नहीं दे सके कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान होने वाली बैठक में शामिल हो सकता है। इसके कारण आठ दक्षिण एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक रद कर दी गई। सार्क में बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान शामिल है।
SAARC Smmit तालिबान को किसी देश ने नहीं दी है मान्यता, ब्लैक व वांटेड लिस्ट में हैं कैबिनेट के सदस्य
तालिबान को भारत ने अफगान लोगों के प्रतिनिधि के रूप में मान्यता नहीं दी है। इसे अन्य देशों द्वारा भी मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके नए कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्यों को अभी भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा काली सूची में डाला गया है। अधिकांश अमेरिकी एजेंसियों द्वारा ‘वांटेड’ लिस्ट में हैं। यहां तक कि, रूस और चीन ने भी अभी तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है।
SAARC Smmit तालिबान शासन के पास नहीं कोई अधिकार (India)
भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि तालिबान शासन के पास कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह समूह वैश्विक प्लेटफार्मों पर बोलने का दावा नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि तालिबान के समर्थन के साथ पाकिस्तान की ‘दाई-पत्नी’ की भूमिका उजागर हो चुकी है।
SAARC Smmit तालिबान ने यूएन को पत्र लिखकर मांगी है महासभा को संबोधित करने की अनुमति
तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भी पत्र लिखकर इस सप्ताह न्यूयॉर्क में 76वीं महासभा को संबोधित करने की अनुमति मांगी है। दोहा स्थित प्रवक्ता सुहैल शाहीन को अफगानिस्तान के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत के रूप में नामित किया गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट है कि इस कदम से गुलाम इसाकजई के साथ टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। इस बात की संभावना कम है कि यूएनजीएम में भी तालिबान को अनुमति दी जाएगी।
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