India News (इंडिया न्यूज़), Sachin Pilot, जयपुर: राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) असमंजस में है। वह फिलहाल अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर संकट का सामना कर रहे है। वह कांग्रेस पार्टी में बने रहेंगे या अपनी नई पार्टी बनाएंगे या बीजेपी के साथ जाएंगे यह कहना मुश्किल है। सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने राजनीतिक विशलेषक प्रशांत किशोर से संपर्क किया था और यह जानना चाहा की अकेले दम पर वह राज्य में कितनी सीटें जीत सकते है।
- 11 जून को कर सकते है बड़ा ऐलान
- इस दिन उनकी पिता की पुण्यतिथी
- बड़े नेताओं का बची है उम्मीद
उन्हें राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ कई मांगों को लेकर जन चेतना यात्रा निकाली थी पर पार्टी ने उन्हें एक राजनीतिक पहेली में फंसा दिया है। मीडिया में चर्चा है कि पायलट 11 जून को एक नई राजनीतिक पार्टी की स्थापना कर सकते हैं, हालांकि यह दावा अपुष्ट है।
कांग्रेस को उम्मीद
कांग्रेस के राज्य प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को यकीन है कि पायलट कांग्रेस के साथ अपना संबंध बनाए रखेंगे। राजस्थान में अपनी ही पार्टी की सरकार का विरोध करने पर पायलट, उस समर्थन को इकट्ठा करने में विफल रहे, जिसकी उन्होंने उम्मीद की थी। उनकी माँगें जनता का प्रतिध्वनित होने में विफल रहीं। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर पायलट द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं।
राज्य में हुई कार्रवाई
पायलट के आरोपों के विपरित पेपर लीक और धोखाधड़ी के घोटालों में फंसे लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने वाला राजस्थान पहला राज्य है। इन मामलों मे कई बड़े आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। सचिन पायलट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग करने की वकालत की।
केवल राष्ट्रपति के पास शक्ति
संविधान के अनुसार केवल भारत के राष्ट्रपति के पास RPSC को भंग करने का अधिकार है और राज्य सरकारों की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानाना है कि पायलट ने इन मुद्दों को अत्यधिक जोश में उठाया, जिससे जनता के बीच रुचि की कमी हो गई।
खुद अनिश्चिता में
आलाकमान के हस्तक्षेप के बावजूद, पायलट अपने विचारों पर अडिग रहते है जिसका मुख्य कारण अपने समर्थकों की जोश बनाए रखना। पायलट का अगल कदम क्या होगा इसको लेकर वह खुद अनिश्चिता में है। कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस की जीत ने यथास्थिति को बदल दिया है। इस जीत ने कांग्रेस पार्टी को थोड़ा मजबूत कर दिया है, जिससे पायलट के लिए नई पार्टी लॉन्च करना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
बड़े नेताओं में बची है आशा
कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व राजस्थान में किसी भी नुकसान से बचने के लिए पायलट को प्राथमिकता देता है। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को स्थिर बनाए रखने के साथ, कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी को उम्मीद है की पायलट आने वाले समय में पार्टी में बड़ी भूमिका निभाएंगे।
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