India News (इंडिया न्यूज),Sachkhand Express rRoute: ट्रेन से यात्रा करने का आनंद तब ज्यादा आता है जब साथ में खाने-पीने का सामान भी मिल जाए। अगर आपको यात्रा के दौरान गरमागरम खाना मिल जाए तो ट्रेन से यात्रा और भी मज़ेदार हो जाती है। ट्रेन में खाने-पीने के लिए पेंट्री कार की सुविधा तो है ही, इसके अलावा रेलवे स्टेशनों पर खाने-पीने के स्टॉल भी हैं। लेकिन इन सबके लिए आपको पैसे खर्च करने होंगे। आज हम आपको जिस ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, उस ट्रेन में खाना बिल्कुल मुफ़्त मिलता है। सिर्फ़ एक बार नहीं, बल्कि पूरी यात्रा के दौरान 6 बार आप बिना कुछ खर्च किए जी भरपेट खाना खा सकते हैं, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी।
बता दें कि, इस स्पेशल ट्रेन का नाम सचखंड एक्सप्रेस (12715) है। इस ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों को खाने की चिंता नहीं करनी पड़ती। उन्हें मुफ़्त में खाना मिलता है। पिछले कई सालों से इस ट्रेन में यात्रियों को ख़ास लंगर परोसा जाता है। सचखंड एक्सप्रेस 39 स्टेशनों पर रुकती है, इस दौरान 6 स्टेशनों पर यात्रियों के लिए लंगर की व्यवस्था की जाती है। ट्रेन उन स्टेशनों पर रुकती भी है ताकि लोग आराम से लंगर ले सकें और खा सकें।
जानकारी के लिए बता दें कि, 29 सालों से अमृतसर-नांदेड़ सचखंड एक्सप्रेस में यात्रियों को मुफ्त खाना खिलाया जा रहा है। जो लोग कभी इस ट्रेन से सफर कर चुके हैं, वे जानते हैं कि इन ट्रेनों में सफर के दौरान खाना साथ ले जाने या खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। लोग अपने साथ बर्तन लेकर चलते हैं। 2081 किलोमीटर के सफर में यात्रियों को 6 स्टेशनों पर लंगर मिलता है, जहां वे बिना कुछ खर्च किए मुफ्त खाना खा सकते हैं। ट्रेन में पेंट्री भी है, लेकिन यहां खाना नहीं बनता, क्योंकि लोगों की जरूरतें लंगर से पूरी होती हैं।
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ट्रेन के जनरल से लेकर एसी कोच तक में यात्री अपने साथ बर्तन लेकर चलते हैं। स्टेशनों पर बस बर्तन आगे बढ़ाइए और आपको लंगर प्रसाद मिल जाएगा। दरअसल, सचखंड एक्सप्रेस सिखों के दो सबसे बड़े धार्मिक स्थलों अमृतसर के श्री हरमंदर साहिब और नांदेड़ (महाराष्ट्र) के श्री हजूर साहिब सचखंड को जोड़ती है। जिसके चलते यात्रा के रूट पर छह स्टेशनों पर सालों से लंगर प्रसाद परोसा जा रहा है। कढ़ी-चावल, छोले, दाल, खिचड़ी, की सब्जी, आलू-गोभी की सब्जी, साग-भाजी उपलब्ध हैं।
यह ट्रेन 1995 में शुरू हुई थी और शुरुआत में इसे सप्ताह में एक बार चलाया जाता था। बाद में इसे बढ़ाकर सप्ताह में दो बार कर दिया गया। 1997 में इसे बढ़ाकर सप्ताह में 5 बार और फिर रोजाना कर दिया गया। इस लंगर की शुरुआत एक व्यापारी ने की थी, अब रोजाना 2000 लोगों के लिए लंगर बनता है। ट्रेन से यात्रा करने वाले लोग पहले से तैयारी करके रखते हैं। स्टेशन पहुंचने पर कुछ सेवादार ट्रेन में और कुछ स्टेशनों पर यात्रियों को लंगर प्रसाद परोसते हैं। सालों से चली आ रही यह परंपरा आज भी जारी है।
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