India News (इंडिया न्यूज़),Sanjay Raut: उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत का कहना है कि (केंद्र) सरकार राहुल गंधी से डर गई है। सूरत कोर्ट ने जो राहुल गांधी को सज़ा सुनाई उसके बाद 24 घंटे में, बिना किसी देरी के, लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल गांधी को अयोग्य घोषित किया था। सुप्रिम कोर्ट ने निचली आदलत के फैसले पर रोक लगाते हुए कड़ी टिप्पणी की थी लेकिन अभी भी उनकी सदस्यता बहाल नहीं हुई है। हमारा I.N.D.I.A का दल कल मिलेगा और आगे की रणनीति तय करेगा।
#WATCH (केंद्र) सरकार राहुल गंधी से डर गई है। सूरत कोर्ट ने जो राहुल गांधी को सज़ा सुनाई उसके बाद 24 घंटे में, बिना किसी देरी के, लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल गांधी को अयोग्य घोषित किया था। सुप्रिम कोर्ट ने निचली आदलत के फैसले पर रोक लगाते हुए कड़ी टिप्पणी की थी लेकिन अभी भी उनकी… pic.twitter.com/tJqbE32iI0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 6, 2023
बता दें गुजरात की एक अदालत ने राहुल गांधी को उनकी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर मानहानि मामले में दोषी ठहराया था। इतना ही नहीं इस मामले में उन्हें दो साल की सजा भी सुनाई गई । सजा के कारण उनकी संसदीय सदस्यता समाप्त हो गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फेसले से राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है। इस फैसले के कारण राहुल गांधी के सदस्यता की बहाली का रास्ता तो साफ हो गया है।
बता दें सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राहुल गांधी की केवल सजा पर लगी है। लेकिन मानहानि का मामला गुजरात के सूरत की एक सत्र अदालत में जारी रहेगा जहां राहुल गांधी ने अपनी दोषसिद्धि को रद्द करने की मांग करते हुए अपील दायर की है।
गौरतलब है 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी की ओर से ये टिप्पणी की गई थी कि “सभी चोरों का सरनेम मोदी कैसे है?” ऐसे में राहुल गांधी के इस टिप्पणी पर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। इस मामले में सुनवाई करते हुए सूरत की एक अदालत ने इस साल 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी ठहराया था और दो साल जेल की सजा सुनाई थी। अगले दिन, उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया।
दोषी ठहराया जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस फैसले को सत्र अदालत में चुनौती दी। सत्र अदालत ने उन्हें 20 अप्रैल को जमानत दे दी। लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। ऐसे में राहुल गांधी ने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सत्र अदालत द्वारा उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार करने को बरकरार रखा गया था।
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