इंडिया न्यूज़, मुंबई :
Save Soil Campaign ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक, सद्गुरु ने कल संयुक्त राष्ट्र में दर्शकों के एक एकाग्र समूह से कहा, ‘आपकी आवाज कहां है, आवाज उठाने का यही समय है।’ वह जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी दूतावास में मिट्टी के विनाश के मुद्दे पर तुरंत ध्यान दिए जाने पर संबोधित कर रहे थे। वह पीएमआई द्वारा मिट्टी बचाओ अभियान के समर्थन में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस वैश्विक अभियान को सद्गुरु ने पिछले महीने धरती की मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के लिए शुरू किया था।
अपनी 100-दिन की यात्रा के सोलहवें दिन, (Save Soil Campaign Day 16th) सद्गुरु बारिश और ठंड में कई घंटों की चुनौतीपूर्ण मोटरसाइकिल सवारी के बाद रोम से जेनेवा पहुंचे। मैं इस बारे में पिछले 30 सालों से बोल रहा हूँ, हर कोई कहता है कि बिलकुल ठीक है और वह बात वहीं खत्म हो जाती है,’ उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में कहा और वैश्विक समुदाय से मिट्टी को बचाने के लिए जोरदार अपील की, ‘हमारे जीवन का और प्रत्येक जीवन का, जो हम अपने आस-पास देखते हैं, आधार मिट्टी है।
अगर आप उसमें मुर्दे को डाल देते हैं, तो भी उससे जीवन ही अंकुरित होता है। जिस जगत को हम जानते हैं, उसमें किसी दूसरी जगह पर इस मिट्टी जैसा कोई दूसरा पदार्थ नहीं है।’ वह मिट्टी के इस जादुई गुण की बात कर रहे थे।
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि मिट्टी के तेजी से खराब होने से गहरा वैश्विक खाद्य संकट आ सकता है, जिससे अगले कुछ दशकों में दुनिया में निर्मम गृह युद्ध हो सकता है। उन्होंने ताना मारा कि ‘युवा लोग सोचने लगे हैं कि भोजन ऊबर से आता है। यह बहुत ऊबर सोच है।’
मिट्टी बचाओ अभियान का लक्ष्य दुनिया भर में नागरिकों को अपने देशों में मिट्टी के विनाश को रोकने के समर्थन में अपनी आवाज उठाने को प्रेरित करना है। ऐसा अनुमान है कि मिट्टी के विलुप्त होने से अभूतपूर्व वैश्विक संघर्ष, भोजन और पानी की कमी, गृह युद्ध, जलवायु के तीव्र परिवर्तन के असर, और दुनिया भर में अनियंत्रित सामूहिक पलायन शुरू हो सकता है। (What is the goal of save soil campaign)
इस चुनौती से निपटने में शीघ्रता की जरूरत पर जोर देते हुए सद्गुरु ने कहा कि नीतियों को ‘अभी बनाने की जरूरत है, कल नहीं’ ताकि दुनिया में मिट्टी के और ज्यादा विनाश को रोका और पलटा जा सके। ऐसा करने पर 8-20 सालों में मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार आ सकता है।
लोकतंत्र में लोगों की आवाज के महत्व पर जोर देते सद्गुरु ने हुए कहा कि ‘सरकार को लोगों के जनादेश को पूरा करने के लिए चुना जाता है।’ उन्होंने कहा कि किसी लोकतांत्रिक देश में, ‘दो चीजें सबसे शक्तिशाली होती हैं। एक आपका वोट है, और दूसरी आपकी आवाज है। मैं पूछ रहा हूँ, आपकी आवाज कहां है? जो चीज आपके लिए और दुनिया के लिए बड़ी चिंता की बात है, उसके बारे में आपने क्या बोला है? आपने क्या कहा है? बोलने का यही वक्त है।’ उन्होंने सेल फोन की ओर संकेत करते हुए आगे कहा कि आज की पीढ़ी के पास ‘उनके हाथों में मौजूद उपकरण के जरिए दुनिया को बदलने की ताकत’ है। (Save Soil Campaign 2022)
जब तक लोग साफ तौर पर नहीं कहते कि वे चाहते हैं कि उनके नेता देश की दीर्घकालिक खुशहाली में निवेश करें, चुनी गई सरकारें कोई कार्यवाही नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा, ‘लोगों ने आवाज नहीं उठाई है। इन सौ दिनों में, हम चाहते हैं कि 3-4 अरब लोग आवाज उठाएं। आपको मेरा समर्थन नहीं करना है। हर दिन मिट्टी के लिए कुछ कहिए।’
कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथि मौजूद थे, जिनमें संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत, इंद्र मणि पांडे; जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के डाइरेक्टर जनरल की प्रतिनिधि, नाडिया इस्लर, डाइरेक्टर एसजीडी लैब/यूएनओजी; विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूएचसी/स्वस्थ आबादी के एडीजी, डॉ नाओको यामामोटो; इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़रवेशन ऑफ नेचर (IUCN) में कार्यक्रमों के डिप्टी डाइरेक्टर जनरल, स्टेवार्ट मैगिनिस; और जेनेवा में भारतीय दूतावास के काउन्सेल जनरल, सुनील आचार्य शामिल हैं।
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