India News (इंडिया न्यूज), SC on Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को आज रद्द कर दिया। ऐसे में बिलकिस बानो के घर पर जश्न का महौल है। गुजरात के देवगढ़ बारिया में बिलकिस बानो के घर के बाहर पटाखे फोड़े जा रहे हैं।
#WATCH | Firecrackers being burst outside the residence of Bilkis Bano in Devgadh Baria, Gujarat.
Supreme Court today quashed the Gujarat government's decision to grant remission to 11 convicts in the case of gangrape of Bilkis Bano. SC directed 11 convicts in Bilkis Bano case… pic.twitter.com/T7oxElwgcY
— ANI (@ANI) January 8, 2024
बता दें कि बिलकिस बानो केस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए बानों की याचिका को सुनवाई योग्य बताया। अदालत का मानना है कि बिलकिस बानो द्वारा 11 दोषियों की सजा को चुनौती देने वाली याचिका पूरी तरह सही है।
बता दें कि इस केस की सुनवाई न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने की। अदालत ने 12 अक्टूबर को बानो समेत अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रखने के बाद अपना फैसला सुनाया था। इसके अलावा अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्णय लेने की प्रक्रिया वाली मूल फाइलें जमा करने का निर्देश दिया था। मालूम हो कि 11 दोषियों अगस्त 2022 में गुजरात की जेल से रिहा कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि 13 मई, 2022 का फैसला (जिसने गुजरात सरकार को दोषी को माफ करने पर विचार करने का निर्देश दिया था) अदालत के साथ “धोखाधड़ी करके” और भौतिक तथ्यों को छिपाकर प्राप्त किया गया था कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने साफ हाथों से अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि राज्य, जहां किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गुजरात राज्य दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने में सक्षम नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार सक्षम है।
2002 के गुजरात दंगों के दौरान अपने परिवार के साथ सुरक्षित भागने की कोशिश के दौरान बानो 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी, जब उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। 11 दोषियों ने उसके परिवार के सात सदस्यों की भी हत्या कर दी थी। जिसमें उसकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी। मामले की सुनवाई गुजरात से मुंबई स्थानांतरित कर दी गई और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच की। 2008 में मुंबई की एक विशेष अदालत ने 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले को 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बरकरार रखा था।
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