India News (इंडिया न्यूज), Women’s Reservation Bill: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 3 नवंबर को कहा कि महिला आरक्षण कानून के उस हिस्से को रद्द करना उसके लिए “बहुत मुश्किल” होगा, जिसमें कहा गया है कि यह जनगणना के बाद लागू होगा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका लंबित है और वह 22 नवंबर को इसके साथ ही ठाकुर की याचिका पर भी सुनवाई करेगी।
कांग्रेस नेता ने की थी यह मांग
बता दें कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू कराने की मांग की थी।कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने के लिए जनगणना की जरूरत होती है। महिला आरक्षण में इसकी क्या जरूरत है?
बेंच ने केंद्र को नोटिस भेजने से किया इनकार
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी ने इस पर कहा- जनगणना के अलावा भी कई काम है। सबसे पहले लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटें रिजर्व की जाएंगी। बेंच ने इस मामले में केंद्र को नोटिस भेजने से भी इनकार कर दिया।
कोर्ट ने की रिजर्वेशन की सराहना
सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन की सराहना करते हुए कहा- महिला आरक्षण का फैसला बहुत अच्छा कदम है। अब इस मामले पर दूसरी याचिकाओं के साथ 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
इसके बाद सिंह ने एक नोटिस जारी करने और याचिका को अन्य मामले के साथ सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।
अदालत ने कहा कि वह याचिका खारिज नहीं कर रही है, बल्कि कोई नोटिस भी जारी नहीं कर रही है और केवल इसे लंबित मामले के साथ टैग कर रही है।
महिलाओं को मिलेगा 33% रिजर्वेशन
महिला आरक्षण कानून के तहत लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा। लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं, नारी शक्ति वंदन कानून के तहत लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी।
15 साल तक रहेगा ये रिजर्वेशन
ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।
इस दिन पेश किया गया था बिल
- नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया गया था।
- यह बिल 20 सितंबर को लोकसभा और 21 को राज्यसभा से पारित हुआ था।
- 29 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया।
- अब ये बिल विधानसभाओं में भेजा जाएगा।
- इसे लागू होने के लिए देश की 50% विधानसभाओं में पास होना जरूरी है।
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