इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
Microplastic Particles : वैज्ञानिकों ने पहली बार जीवित लोगों के फेफड़े में माइक्रोप्लास्टिक कण मिले हैं। वैज्ञानिकों ने फेफड़े के सभी हिस्सों में माइक्रोप्लास्टिक पाया, लेकिन निचले फेफड़े में इसका स्तर काफी अधिक पाया गया। साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित अध्ययन में पूर्वी यॉर्कशायर के कैसल हिल अस्पताल में नियमित चिकित्सा देखभाल के दौरान रोगियों पर सर्जरी से एकत्र किए गए फेफड़े के ऊतकों का इस्तेमाल किया गया।
माइक्रोप्लास्टिक के मिले 39 कण
शोधकर्ताओं ने परीक्षण किए गए 13 फेफड़ों के ऊतकों के नमूनों में से 11 में माइक्रोप्लास्टिक के 39 कण पाए गए। वैज्ञानिकों ने कहा कि पिछले प्रयोगशाला परीक्षणों के परिणामों की तुलना में ये काफी अधिक है। वैज्ञानिकों ने 12 प्रकार के प्लास्टिक की पहचान की, जिनमें से सबसे आम पॉलीप्रोपाइलीन और पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट और राल थे। फाइबर आमतौर पर पैकेजिंग, बोतलों, कपड़ों, रस्सी और सुतली निर्माण और अन्य उद्योगों में पाए जाते हैं।
मानव रक्त में मिला माइक्रोप्लास्टिक
पिछले महीने, हुए एक अन्य अध्ययन ने पहली बार मानव रक्त में माइक्रोप्लास्टिक का पता लगाया गया था और शोध में पता चला की मानव शरीर में एक क्रेडिट कार्ड के वजन के बराबर व्यक्ति हर हफ्ते लगभग 2,000 माइक्रोप्लास्टिक्स को अंदर लेते हैं और निगलते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक का स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है?
विज्ञानिकों ने जांच में पाया कि ये छोटे-छोटे पार्टिकल्स 80 प्रतिशत लोगों में पाए गए हैं। ऐसा भी माना जा रहा है कि माइक्रोप्लास्टिक इंसान के शरीर में एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हैं और मानवीय अंगों में जमा हो सकते हैं। हालांकि इसका इंसान के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है, इसका अभी खुलासा नहीं हो पाया है।
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