Hindenburg के आरोपों पर SEBI का जवाब, माधबी बुच के पति से जुड़े मामले में दी सफाई

India News (इंडिया न्यूज), SEBI On Hindenburg Report: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रविवार (11 अगस्त) को एक विस्तृत बयान में हिंडनबर्ग रिसर्च के उन आरोपों को खारिज कर दिया। जिसमें कहा गया था कि रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) नियमों में सेबी के बदलावों से एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को फायदा हुआ। जहां सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच के पति धवल बुच कार्यरत थे। भारत में प्रतिभूति बाजार के नियामक सेबी ने कहा कि उचित पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आरईआईटी नियमों में बदलाव गहन परामर्श के बाद किए जाते हैं और आरोपों को अनुचित बताया।

सेबी ने किया आरोपों का खंडन

बता दें कि, हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार (10 अगस्त) को आरोप लगाया कि सेबी में माधबी बुच के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में कार्यकाल के दौरान, उनके पति धवल को रियल एस्टेट या पूंजी बाजारों में अनुभव की कमी के बावजूद, एक बहुराष्ट्रीय वित्तीय समूह ब्लैकस्टोन के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि, सेबी ने अपने बयान में कहा कि धवल कभी भी ब्लैकस्टोन के रियल एस्टेट पक्ष से जुड़े नहीं रहे हैं। सेबी ने कहा कि REIT विनियम, 2014, समय-समय पर संशोधित किए गए हैं। सेबी ने आगे कहा कि जैसा कि किसी नए विनियमन की शुरूआत या मौजूदा विनियमन में संशोधन से जुड़े सभी मामलों में होता है। उद्योग, निवेशकों, बिचौलियों, संबंधित सलाहकार समिति और आम जनता से इनपुट और फीडबैक लेने के लिए एक मजबूत परामर्श प्रक्रिया लागू है।

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भारतीय मार्केट रेगुलेटर ने क्या कहा?

बाजार नियामक ने कहा कि केवल परामर्श के बाद, किसी नए विनियमन की शुरूआत या मौजूदा विनियमन में बदलाव का प्रस्ताव सेबी बोर्ड के विचार और विचार-विमर्श के लिए रखा जाता है। सेबी बोर्ड की मंजूरी के बाद विनियमन अधिसूचित किए जाते हैं। बयान में कहा गया कि पारदर्शिता के उपाय के रूप में, बोर्ड की बैठकों के लिए एजेंडा पेपर और बोर्ड की चर्चाओं के परिणाम भी सेबी की वेबसाइट पर प्रकाशित किए जाते हैं। इसलिए, यह दावा कि REIT से संबंधित ऐसे विनियमन, विनियमन में परिवर्तन या परिपत्र एक बड़े बहुराष्ट्रीय वित्तीय समूह को लाभ पहुंचाने के लिए जारी किए गए थे, अनुचित हैं। सेबी ने इस बात पर भी जोर दिया कि हितों के टकराव से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए उसके पास पर्याप्त आंतरिक तंत्र हैं। जिसमें प्रकटीकरण ढांचा और अस्वीकृति का प्रावधान शामिल है।

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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से भारत में खलबली

दरअसल,शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट ने एक बार फिर भारत में खलबली मचा दी है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख पर कई आरोप लगाए गए हैं। हिंडनबर्ग ने शनिवार को आरोप लगाया कि सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी है। जो अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हैं। वहीं इस रिपोर्ट के आने के बाद सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच ने बयान जारी कर इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया, जबकि अडानी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार दिया है।

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Raunak Pandey

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