India News (इंडिया न्यूज), Sela Tunnel: चीन ने सोमवार को कहा कि उसने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर भारत के समक्ष राजनयिक विरोध दर्ज कराया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत के इस कदम से सीमा विवाद और उलझ जाएगा. प्रवक्ता ने अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा तक बता दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सेला सुरंग राष्ट्र को समर्पित की। यह सुरंग रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तवांग को हर मौसम में सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और इससे सीमा क्षेत्र में सैनिकों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित होने की भी उम्मीद है।

पीएम मोदी के दौरे से बौखलाया चीन

बता दें कि, यह सुरंग असम के तेजपुर को अरुणाचल के पश्चिमी कामेंग जिले से जोड़ने वाली सड़क पर बनाई गई है। इतनी ऊंचाई पर स्थित यह दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन सड़क सुरंग बताई जा रही है। सैन्य अधिकारियों के अनुसार, सेला सुरंग के माध्यम से सैनिकों और हथियार प्रणालियों को चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के विभिन्न अग्रिम स्थानों तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है।

चीन अरुणाचल प्रदेश को बताता है अपना हिस्सा

चीन अक्सर अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत बताता है। अपने इस दावे पर ज़ोर देने के लिए उन्होंने नियमित तौर पर भारतीय नेताओं के राज्य दौरे पर आपत्ति जताई है। बीजिंग ने इस क्षेत्र का नाम जांगनान रखा है। वहीं, भारत ने अरुणाचल पर चीन के दावे को बार-बार खारिज किया है और कहा है कि, यह राज्य देश (भारत) का अभिन्न अंग है। नई दिल्ली ने क्षेत्र का नाम बदलने के चीन के कदम को यह कहते हुए खारिज किया है कर कि वह सच्चाई नहीं बदल सकता।

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चीनी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आधिकारिक मीडिया द्वारा मोदी की अरुणाचल यात्रा के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ज़ंगनान क्षेत्र चीन का क्षेत्र है। चीन ने कभी भी अरुणाचल प्रदेश को भारत के अधीन नहीं माना है और इसका कड़ा विरोध किया है।

भारत के समक्ष दर्ज कराया विरोध

उन्होंने कहा कि चीन-भारत सीमा विवाद अभी तक सुलझा नहीं है। भारत को चीन के ज़ंगनान क्षेत्र को मनमाने ढंग से विकसित करने का कोई अधिकार नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि, भारत के संबंधित कदम सीमा विवाद को और अधिक जटिल बना देंगे।” वहीं, चीन प्रधानमंत्री की चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से की यात्रा का दृढ़ता से विरोध करता है। वांग ने कहा कि, हमने भारत के समक्ष राजनयिक विरोध दर्ज कराया है।

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