India News (इंडिया न्यूज), Shiv Sena: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी वहां की राजनीतिक हलचल में पूर्ण विराम नहीं लगा है। हर दिन कोई न कोई अपडेट सामने आ ही जाती है। इस बीच खबर आ रही है कि, शिवसेना के दोनों धड़ों के बीच सुलह की संभावनाओं को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है। शिंदे गुट के वरिष्ठ मंत्री संजय शिरसाट ने हाल ही में कहा कि वह शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे और शिंदे गुट के बीच सुलह कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए पहले दिलों का मिलना जरूरी है। एक मराठी चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के कई साथी अभी भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ अच्छे संबंध बनाए हुए हैं और वे इस दरार को खत्म करने के लिए तैयार हैं।
संजय शिरसाट ने क्या कहा?
दरअसल शिरसाट ने यह भी कहा कि बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना को दो धड़ों में बंटता देख उन्हें दुख हो रहा है और वह इस विभाजन के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि दोनों दलों के नेताओं को आपस में दूरियां पाटनी चाहिए, क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो भविष्य में संबंधों में सुधार करना मुश्किल हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वे दोनों गुटों के बीच सुलह कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए सकारात्मक और आम सहमति पर आधारित पहल की जरूरत होगी।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे इस सुलह की पहल कर सकते हैं, तो शिरसाट ने कहा कि आदित्य अभी इस पद पर नहीं हैं, क्योंकि उनकी उम्र और अनुभव ऐसी जिम्मेदारी उठाने के लिए काफी नहीं है। शिरसाट का मानना है कि अगर दोनों गुटों के बीच सुलह संभव है, तो दोनों पक्षों को एक-दूसरे की गलतियों को माफ करना होगा और एक-दूसरे के खिलाफ अपमानजनक बयानबाजी से बचना होगा।
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कब हुआ शिवसेना का विभाजन?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, महाराष्ट्र में शिवसेना का विभाजन जून 2022 में हुआ, जब एकनाथ शिंदे ने पार्टी से बगावत कर दी और भाजपा के साथ गठबंधन करके महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न धनुष-बाण मिल गया। इसके बाद से ही दोनों गुटों के बीच बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
शिंदे गुट ने 57 सीटें जीतीं
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ महायुति के हिस्से के रूप में शिंदे गुट ने 288 सीटों में से 57 सीटें जीती थीं, जबकि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के तहत कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन करने वाली शिवसेना (यूबीटी) को केवल 20 सीटें मिली थीं। महायुति को कुल 230 सीटें मिलीं, जबकि एमवीए को केवल 46 सीटों से संतोष करना पड़ा। इस चुनाव परिणाम ने शिंदे गुट की स्थिति को और मजबूत कर दिया, लेकिन फिलहाल शिवसेना के दोनों गुटों के बीच एकता की कोशिशें समय-समय पर धराशायी हो रही हैं।