Shab-E-Barat Festival: मुस्लिम समुदाय का शब-ए-बारात त्योहार इस्लामिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर जागकर इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, शब-ए-बारात शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात को मनाई जाती है। जो इस साल 7 मार्च यानि आज है।

क्या है शब-ए-बारात का अर्थ?

इस्लामिक धर्म में शब-ए-बारात का अर्थ कुछ इस प्रकार है- ‘शब यानि रात और बारात का मतलब होता है बरी होना।’ मुस्लिम समुदाय में इस दिन दुनिया छोड़कर जा चुके लोगों की कब्रों पर उनके प्रियजनों द्वारा रोशनी की जाती है और दुआ मांगी जाती है।

गुनाहों की माफी देता है अल्लाह

कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह से सच्चे मन से अपने गुनाहों की माफी मांगने से जन्नत में जगह मिलती है। शब-ए-बारात के अगले दिन ये लोग रोजा रखते हैं। जो कोई फर्ज नहीं होता यानि रमजान के रोजों की तरह ये रोजा रखना जरूरी नहीं होता है।

इस दिन होती कब्रिस्तानों की सजावट

इतना ही नहीं इस दिन घरों और कब्रिस्तानों को खास तौर पर सजाया जाता है। जिसके बाद लोग देर रात तक कब्रिस्तानों में पूर्वजों को दुआएं पढ़ते हैं और गुनाहों की माफी मांगते हैं। इसके अलावा घरों में हलवा, बिरयानी आदि पकवान बनाकर गरीबों में बांटा जाता हैं।

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