India News (इंडिया न्यूज), Sambhal History: संभल जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर भभड़की हिंसा के बीच संभल की चर्चा पूरे देश में हो रही है। ऐसे में लोग संभल जामा मस्जिद से जुड़ा इतिहास जानने की कोशिश करते हैं। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, मुरादाबाद मंडल का यह जिला 28 सितंबर 2011 को बना था। तब इसका नाम भीमनगर था। 23 जुलाई 2012 को इस जिले का नाम बदलकर संभल कर दिया गया। इतिहासकारों की माने तो ये वही संभल है जो दिल्ली के सुल्तान को जागीर के रूप में दिया गया था और मराठों की लूट का शिकार भी रहा था। 800 साल से भी ज्यादा पुराना इतिहास समेटे संभल कभी पृथ्वीराज चौहान का प्रिय नगर था।
स्कंद पुराण पर आधारित एक पुस्तक लिखी गई है, जिसका नाम संभल महात्म्य है। इसमें उल्लेख है कि संभल में 68 तीर्थ स्थल और 19 कुएं थे। 700 ई. के आसपास संभल में तोमर वंश का उदय हुआ। इसके राजा जगत सिंह थे। माना जाता है कि उन्होंने ही इन 68 तीर्थ स्थलों का निर्माण करवाया था। डोर वंश के राजा नाहर सिंह ने संभल के प्रसिद्ध किले का निर्माण करवाया था, जिसे बाद में पृथ्वीराज चौहान ने नया रूप दिया था।
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मध्यकाल में कुतुबुद्दीन ऐबक ने संभल और अमरोहा को मुस्लिम शासन का मुख्य केंद्र बनाया। 1248 ई. में मलिक जलालुद्दीन को दिल्ली सल्तनत की ओर से संभल का गवर्नर बनाया गया, लेकिन वह यहां राजपूत शासन को समाप्त करने में विफल रहा। पूर्वी जौनपुर के शर्की सुल्तान इब्राहिम शर्की ने 1407 ई. में संभल पर अधिकार कर लिया। आज भी संभल क्षेत्र में इब्राहिम शर्की द्वारा जारी किए गए सिक्के बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
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बाद में भी संभल दिल्ली सल्तनत के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बना रहा और अपने शासनकाल के दौरान बहलोल लोदी ने अपने बेटे सिकंदर लोदी को संभल जागीर के रूप में दे दिया था। जब सिकंदर लोदी दिल्ली की गद्दी पर बैठा, तो उसने अगले चार वर्षों तक संभल में अपना निवास बनाए रखा। सुल्तान सिकंदर लोदी ने संभल में एक धार्मिक सभा का आयोजन किया था। मुगल काल में जब शेरशाह सूरी ने हुमायूं से दिल्ली की सत्ता छीनी तो उसने 1552 ई. में मित्रसेन को संभल का गवर्नर नियुक्त किया। बाद में जब हुमायूं ने अपना खोया हुआ राज्य वापस पा लिया तो उसने संभल को बैरम खां को जागीर के रूप में दे दिया। बैरम खां ने ईशा खां को यहां का गवर्नर नियुक्त किया था।
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