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तीन माह में तीन सीएम बदलकर बीजेपी में बड़े बदलाव के संकेत

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

भारतीय जनता पार्टी ने (भाजपा) तीन महीने में तीन राज्यों के मुख्यमंत्री बदलकर पार्टी में आगामी चुनावों से पहले बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। कुछ और राज्यों में भी जल्द बदलाव की अटकलें हैं। दरअसल, पार्टी आलाकमान को जो फीडबैक मिल रहा है वह उतना अच्छा नहीं है, जिसकी उसे उम्मीद थी। ऐसे में कमजोर विपक्ष के बावजूद भी भाजपा की रणनीतिक चिंता बरकरार है और वह इसका समय रहते समाधान कर लेना चाहती है। उत्तराखंड फिर कर्नाटक और अब गुजरात के मुख्यमंत्री को भाजपा ने महज तीन माह में चेंज कर दिया है। उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं और पार्टी रणनीति के अनुसार वहां पर पुराने नेतृत्व के साथ जरूरी चुनावी तैयारियां नहीं कर पा रही थी। ऐसे में वहां पर तो एक साल में तीन मुख्यमंत्री बदले गए हैं। कर्नाटक में भी पार्टी ने अपने सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा को बदल दिया है ताकि भविष्य की मजबूत जमीन तैयार की जा सके। अब गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन कर साफ कर दिया है कि वह अपनी भावी रणनीति को लेकर बेहद संजीदा है और इसमें किसी तरह की हीला हवाली के पक्ष में नहीं है।

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विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन मजबूत रखने की तैयारी

सूत्रों की अगर मानें तो भाजपा नेतृत्व की असली चिंता 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले होने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं। पार्टी उनमें अपना प्रदर्शन मजबूत रखना चाहती है, ताकि 2024 की मजबूत बुनियाद खड़ी हो सके। विभिन्न स्थानों से पार्टी ने जो फीडबैक हासिल किया है उसके अनुसार कोरोना काल के दौरान लोगों की दिक्कतें बढ़ी है। मौजूदा राज्यों के नेतृत्व को लेकर यह नाराजगी कहीं कम तो कहीं ज्यादा है। इसका विपरीत असर चुनाव पर पड़ सकता है। ऐसे में पार्टी नए नेताओं के साथ नई तैयारियों के जरिए जनता के बीच जाना चाहती है और उसका विश्वास बहाल रखना चाहती है।

समीक्षा में हरियाणा, एमपी और त्रिपुरा भी फिसड्डी

सूत्रों का कहना है कि पार्टी की समीक्षा में जिन राज्यों की रिपोर्ट अच्छी नहीं है उनमें हरियाणा भी शामिल है। इसके अलावा मध्य प्रदेश और त्रिपुरा की रिपोर्ट बेहतर नहीं है। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी को चुनाव में जाना पड़ेगा। त्रिपुरा में नेतृत्व पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं और पार्टी की दिक्कतें कम नहीं हो पा रही है। हरियाणा में भी कमोबेश यही स्थिति है। वहां के सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर भाजपा ने गैर जाट राजनीति को आगे बढ़ाया है, लेकिन नेतृत्व को लेकर दिक्कत है बनी हुई है।

 

Vir Singh

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