India News (इंडिया न्यूज), UP Bahraich Violence Story: यूपी के बहराइच में 13 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन के दौरान दंगे भड़क उठे थे। इसमें राम गोपाल मिश्रा नाम के युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के बाद हिंसा और बढ़ गई और इलाके में तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई। हजारों लोग लाठी-डंडे लेकर सड़कों पर उतर आए। अगले दिन यानी 14 अक्टूबर को भी हिंसा जारी रही। हालात को काबू करने के लिए पुलिस के साथ डीएम-एसपी, पीएसी, आरएएफ मैदान में उतरे। बताया गया कि एसटीएफ चीफ खुद पिस्टल लेकर दंगाइयों को खदेड़ते नजर आए। जब हालात कुछ सामान्य हुए तो राम गोपाल के ‘हत्यारों’ की तलाश तेज हो गई। इसी सिलसिले में कल, 17 अक्टूबर को पांच हत्या आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। मुठभेड़ के दौरान इनमें से दो के पैर में गोली लगी है, जिनके नाम हैं- सरफराज और तालीम।
सामने आई रिपोर्ट में बताया गया कि सरफराज वही युवक है, जिसने राम गोपाल मिश्रा को गोली मारी थी। पोस्टमॉर्टम में पुष्टि हुई है कि राम गोपाल की मौत गोली लगने से हुई है। जिस छत पर राम गोपाल को गोली मारी गई, वो अब्दुल हमीद का घर है। सरफराज उन्हीं का बेटा है। खुद सरफराज की बहन रुखसार ने कहा कि भाई ने गोली चलाई थी, लेकिन हत्या के लिए नहीं बल्कि आत्मरक्षा के लिए। क्योंकि, घर के बाहर हिंसक भीड़ थी। छत पर खड़ा युवक (राम गोपाल) आंगन में आने की कोशिश कर रहा था और अनहोनी हो गई।
जानकारी के अनुसार, रुखसार ने कहा कि इस पूरे मामले में मेरे पति ओसामा और देवर शाहिद का क्या दोष है, उन्हें एसटीएफ ने क्यों उठाया है। पुलिस को पूरे मामले की सही से जांच करनी चाहिए और बताना चाहिए कि मेरे देवर और पति ने क्या किया है। वो इस घटना स्थल पर नहीं थे। पुलिस ने पिता अब्दुल हमीद, भाई सरफराज और एक अन्य व्यक्ति को परसों उठा लिया। जबकि देवर और पति को 14 अक्टूबर को उठाया गया था।
रुखसार के मुताबिक, हमने अब सब कुछ योगी सरकार पर छोड़ दिया है। वो जो भी करेंगे सही होगा। क्या मेरा परिवार आरोपी है या फिर उन्होंने खुद को बचाने के लिए ऐसा किया है? सरकार को ये बात समझनी चाहिए, पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। हमारा पक्ष भी सुना जाना चाहिए। ये भी हो सकता है कि गोली किसी और ने चलाई हो, ये भी हो सकता है कि उस तरफ से भी फायरिंग हुई हो। एकतरफा कुछ नहीं हुआ।
इस सवाल के जवाब में रुखसार ने कहा कि मृतक (राम गोपाल) को कई बार गोली मारी गई, उसे बिजली का झटका दिया गया, ये सब गलत है। ऐसा नहीं हुआ। अगर सैकड़ों लोगों की भीड़ किसी घर पर हमला कर दे तो वहां रहने वाला व्यक्ति अपने बचाव के लिए क्या करेगा। लेकिन किसी की हत्या को जायज नहीं ठहराया जा सकता, यह अप्रत्याशित घटना थी, ऐसा हुआ। जो कुछ भी हुआ वो बचाव के लिए था।
रुखसार ने यह भी कहा कि हमें दुख है कि परिवार इस घटना (राम गोपाल हत्याकांड) में शामिल था। मेरे परिवार ने भी आंगन से गुहार लगाई कि हमें बचा लो, ये भीड़ हमें मार डालेगी। पड़ोस के एक लड़के सरोज (हिंदू) ने मेरे परिवार की मदद की लेकिन बाद में भीड़ ने उसे भी मारा, उसका सिर फट गया।
रुखसार का कहना है कि मैंने इस मामले में शामिल आरोपियों को शरण नहीं दी है। मैं अपने मायके (महाराजगंज कस्बे) से 40 किलोमीटर दूर रहती हूं। मेरे पिता अब्दुल और भाई सरफराज शादी के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन मैंने फिर भी लव मैरिज की। लव मैरिज के बाद मेरे पिता और भाई को मेरा पति पसंद नहीं आया और वो घर नहीं आया।
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