(दिल्ली) : बागेश्वर धाम महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कथित चमत्कारों पर जारी विवाद के बीच कई मीडिया संस्थानों ने उनका साक्षात्कार किया है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने अपने ऊपर हो रहे हमलों और धर्मांतरण की साजिशों को लेकर खुलकर बात की है। बता दें, एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा है कि सनातन में बहुत शक्ति है। जिसके सामने पादरी-मौलवी खड़े नहीं हो सकते।
टाइम्स नाऊ के पत्रकार सुशांत सिन्हा से बातचीत में बागेश्वर महाराज के नाम से विख्यात धीरेंद्र शास्त्री ने ईसाई मिशनरियों पर साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा है कि उनके द्वारा कही गयी कथा और प्रेरणा से लोग सनातन धर्म में घर वापसी कर रहे हैं। इसलिए मिशनरी के लोग करोड़ों खर्च कर उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं। मगर, वे इन साजिशों से नहीं डरते। बता दें, धीरेंद्र शास्त्री ने दमोह में 160 परिवारों की घर वापसी का जिक्र किया। कहा कि अब जनजातीय इलाकों में दरबार लगाए जा रहे हैं। इसकी वजह से उनके खिलाफ हमले बढ़ गए हैं और वामपंथी गैंग उनके पीछे गया है।
“हम टोपी वालों से भी सीता राम बुलवा देंगे”
बातचीत के दरम्यान एक सवाल का जवाब देते हुए बागेश्वर धाम सरकार ने कहा कि अभी उन्हें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना है। आगे अपने अंदाज में हँसते हुए उन्होंने कहा, “हम टोपी वालों से भी सीता राम बुलवा देंगे। क्यों चिंता करते हो तुम…?”
हम भागने वालों में नहीं
महाराष्ट्र के नागपुर से डरकर भागने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि हम उनकी चुनौती स्वीकार करते हैं। हम भागने वाले नहीं हैं। सात दिन की कथा हुई तब वे नहीं आए। सवाल उठाने वाले लोग किसी पादरी को चैलेंज करने नहीं जाते। क्या उन्होंने बागेश्वर सरकार को लीगल चुनौती दी? किसी व्यक्ति को भेजा या किसी तरह का पत्राचार किया?
बागेश्वर धाम सरकार ने स्पष्ट किया कि 3 जनवरी को ही उन्होंने आयोजकों से 9 दिन की जगह 7 दिन की कथा कहने की बात कही थी। कथा 5 जनवरी को शुरू हुई। कथा समाप्त कर जब हम निकल आए तो उन लोगों ने डरकर भागने की अफवाह फैलानी शुरू कर दी। बागेश्वर सरकार ने कहा कि जिसे जो भी पूछना है वो उनके दरबार में आए। उन्हें प्रेरणा लगेगी तो हम बताएँगे, हमें अपने इष्ट पर भरोसा है। निर्णय करना बालाजी का काम है।
धाम में होने वाले चमत्कार
वहीँ, अपनी चमत्कारी शक्तियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह ध्यान विधि है। यह उन्हें अपने दादा गुरु से मिली थी। सनातन धर्म में ध्यान विधि की परंपरा आदिकाल से मौजूद है। लोग करीब आते हैं तो ध्यान विधि की प्रेरणा से उनकी समस्या का आभास होता है, जिसे वह कागज पर लिखते हैं। राम नाम की ताकत से वह सत्य साबित होता है।