India News (इंडिया न्यूज़), Sitaram Yechury Story: सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का आज 72 साल की उम्र में निधन हो गया। भारत में करीब 45 साल तक वामपंथ की राजनीति को प्रभावित करने वाले सीताराम येचुरी अब नहीं रहे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। उन्हें लंबे समय से रेस्पिरेटरी सपोर्ट पर रखा गया था। पार्टी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सीताराम येचुरी की हाल ही में मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी। 1975 में छात्र नेता के तौर पर उन्होंने आपातकाल का विरोध किया था। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
सीताराम येचुरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रमुख थे। तेलंगाना आंदोलन के जरिए 17 साल की उम्र में राजनीति में आए येचुरी को आपातकाल के दौरान पहचान मिली। 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाने की घोषणा की। उस समय येचुरी जेएनयू में पढ़ रहे थे। उन्होंने आपातकाल का विरोध करने के लिए संयुक्त छात्र महासंघ बनाया था। इस संगठन के बैनर तले येचुरी ने आपातकाल के खिलाफ इंदिरा के घर तक विरोध मार्च भी निकाला था। जब इंदिरा ने विरोध का कारण पूछा तो येचुरी ने ज्ञापन पढ़ना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने ज्ञापन में लिखा था कि एक तानाशाह को विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर नहीं रहना चाहिए। आपातकाल के दौरान इंदिरा जेएनयू में एक कार्यक्रम आयोजित करना चाहती थीं, लेकिन छात्रों के विरोध के कारण उनका कार्यक्रम नहीं हो सका।
आखिरकार इंदिरा गांधी ने जेएनयू के कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे के कुछ दिनों बाद सीताराम येचुरी को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया। आपातकाल के दौरान येचुरी को उसी जेल में रखा गया था, जिसमें अरुण जेटली को रखा गया था।
1952 में आंध्र के काकनिडा में जन्मे येचुरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद में प्राप्त की। सीताराम येचुरी छात्र जीवन में ही तेलंगाना आंदोलन से जुड़ गए थे। वे 1969 तक इससे जुड़े प्रदर्शनों में हिस्सा लेते रहे, लेकिन 1970 में दिल्ली आने के बाद उन्होंने खुद को इस आंदोलन से सक्रिय रूप से अलग कर लिया। तेलंगाना आंदोलन का उद्देश्य तेलंगाना को आंध्र से अलग करना था। 2013 में यह आंदोलन सफल रहा और यूपीए सरकार के दौरान आंध्र का विभाजन हुआ।
येचुरी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आ गए। येचुरी यहां छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। येचुरी 1977-78 तक जेएनयूएसयू के अध्यक्ष पद पर रहे।
1978 में सीताराम येचुरी को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की छात्र शाखा स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया का संयुक्त सचिव बनाया गया। 1984 में येचुरी को इस संगठन का प्रमुख बनाया गया। येचुरी एसएफआई के पहले ऐसे प्रमुख थे जो बंगाल और केरल से नहीं थे। एसएफआई में रहते हुए येचुरी ने बंगाल और केरल से बाहर संगठन का विस्तार किया। इसके बाद 1992 में येचुरी सीपीएम के पोलित ब्यूरो में शामिल हो गए। पोलित ब्यूरो के सदस्य बनने के बाद वे केंद्रीय राजनीति करने लगे।
2004 में एनडीए के खिलाफ संयुक्त विपक्षी मोर्चा बनाने में पर्दे के पीछे सीताराम येचुरी ने बड़ी भूमिका निभाई थी। सीताराम येचुरी ने तत्कालीन सीपीएम महासचिव सुरजीत सिंह के साथ सभी दलों को एकजुट करने का काम किया। 2004 में संयुक्त यूपीए एनडीए को केंद्र से हटाने में सफल रहा।
2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनने के बाद यूपीए का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार करने में भी येचुरी की अहम भूमिका रही। 2008 में जब सीपीएम ने कांग्रेस से समर्थन वापस लेने का फैसला किया तो येचुरी इसके विरोध में सामने आए। उन्होंने इसे पार्टी के लिए खतरनाक बताया। हालांकि पोलित ब्यूरो के फैसले के कारण येचुरी खुलकर इसका विरोध नहीं कर पाए।
2005 में राज्यसभा के जरिए उच्च सदन में पहुंचे सीताराम येचुरी 2015 में सीपीएम के महासचिव बने। उस समय त्रिपुरा में सीपीएम की सरकार थी और केरल-बंगाल में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। 2016 में केरल में सीपीएम सत्ता में आई, लेकिन बंगाल और त्रिपुरा में उसका सफाया हो गया। सीपीएम में नई जान फूंकने के लिए येचुरी ने कई प्रयोग किए। इनमें कांग्रेस से गठबंधन, धर्म और जाति की राजनीति को सिरे से नकारना शामिल है। हालांकि, येचुरी का कोई भी प्रयोग काम नहीं आया और केरल को छोड़कर सीपीएम कहीं सफल नहीं हो पाई।
India News UP(इंडिया न्यूज़),Maulana Madani on Sambhal Controversy: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद…
UP News: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में गूगल मैप्स पर गलत तरीके से कार…
Trending News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक निकाह समारोह की हैरान कर देने वाली…
India News Bihar(इंडिया न्यूज़),Bihar Politics: बिहार उपचुनाव का नतीजा एनडीए के पक्ष में आया है।…
Sambhal Jama Masjid Survey Controversy: संभल जामा मस्जिद सर्वे विवाद पर बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी…
India News UP(इंडिया न्यूज़),Deputy CMs attacked Akhilesh: संभल में सर्वे को लेकर हुई हिंसा के…