Terrorist Count In Valley: जम्मू-कश्मीर को किसी जमाने में आतंकियों का गढ़ कहा जाता था। अब धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर इससे मुक्त होता जा रहा है। सुरक्षाबलों के जवान घाटी में आतंकवादियों के लिए काल बनकर सामने आए हैं। आतंकियों की संख्या में पिछले कुछ सालों से भारी गिरावट देखने को मिली है। ये संख्या अब तक के सबसे निचले स्तर पर गिरकर 50 तक पहुंच चुकी है।

दरअसल, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने एक बातचीत में कहा है कि आतंकवाद राज्य में खत्म नहीं हुआ तो धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। आतंकवाद शुरू होने के बाद कश्मीर की घाटी में पहली बार ऑपरेशन में आतंकियों की संख्या 70 से नीचे पहुंची है। स्थानीय आतंकवादियों की संख्या पुलिस के एक आंतरिक आकलन के मुताबिक 29 बताई गई है। जिनमें से पुराने समय के केवल तीन आतंकवादी फारूक अहमद भट उर्फ ​​नली जो एचएम का ऑपरेशन कमांडर है, रियाज अहमद उर्फ शेतारी और जावेद अहमद मट्टू हैं।

दो अंकों में आ गई आतंकियों की संख्या

वहीं विदेशी आतंकी गुर्गों की संख्या घाटी में 20 से 24 है। वहीं, केंद्रीय एजेंसियों के मुताबिक, 30 से 35 आतंकी स्थानीय हैं। जबकि बाकी के आतंकवादी विदेशी बताए जाते हैं। डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया, “हमने चारों तरफ से आतंकी इकोसिस्टम को घेर लिया है। चाहे वह पथराव हो या अलगाववादी फाइनेंसरों पर कार्रवाई हो या सीमा पार से ड्रोन के जरिए आने वाले हथियारों को जब्त करना हो। पुलिस और सुरक्षाबलों ने काफी हद तक आतंकवाद पर काबू पाने में कामयाबी हासिल की है। साल 2017 से, जब उग्रवादियों की संख्या 350 थी, संख्या दो अंकों में आ गई है।”

टूट चुकी है आतंकवाद की कमर

खुफिया एजेंसियों को इसे लेकर कहना है कि आतंकवादियों की संख्या बढ़ या घट सकती है। खासतौर से घुसपैठ के स्तर और सीमा पार से आने वाले आतंकियों के आधार पर। वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस को इस बात का भरोसा है कि आतंकवाद की कमर अब टूट गई है।

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