India News (इंडिया न्यूज), Shinde Government: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में लिए गए कुछ बड़े फैसलों ने राज्य में सरकारी पदों के लिए भर्ती प्रक्रियाओं को आसान बना दिया है। नौकरियों में नियुक्तियों को लेकर पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता पर जोर दिए जाने से विकास संबंधी पहलों को बढ़ावा मिला है। ऐसे में पात्र युवाओं की भविष्य को लेकर आशंकाएं काफी हद तक दूर हो गई हैं। अगर हम शिंदे सरकार के कार्यकाल की तुलना महाराष्ट्र में पिछली सरकारों के कार्यकाल से करें तो, 2020 से 2022 के बीच इन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हजारों उम्मीदवारों को निराशा हाथ लगी है।
2021 में यह स्थिति अपने चरम पर पहुंच गई जब पुणे की साइबर पुलिस ने बड़े पैमाने पर जांच शुरू की, जिसमें अधिकारियों और निजी कोचिंग सेंटरों से जुड़े भ्रष्टाचार के जाल का पर्दाफाश हुआ। इस कार्रवाई के दौरान 25 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।
अभ्यर्थियों का करियर हुआ बर्बाद
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, पिछले कुछ सालों में राज्य में सरकारी नौकरी पाना काफी मुश्किल काम रहा है। पेपर लीक, भर्ती घोटाले और प्रशासनिक देरी की घटनाओं की वजह से सरकार को काफी परेशानी उठानी पड़ी। इस परिणाम ये हुआ कि, इसकी वजह से हजारों अभ्यर्थियों का करियर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा। ऐसे में जनता में पिछली सरकारों के प्रति विश्वास की भावना में कमी देखी गई।
शिंदे सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में किया ये सुधार
महाराष्ट्र के शिक्षा क्षेत्र को संबोधित करते हुए शिक्षकों के लिए पवित्र ऑनलाइन भर्ती पोर्टल का शुभारंभ एक बड़ा बदलाव था। यह प्लेटफॉर्म सीधे तौर पर लंबे समय से चली आ रही शिक्षकों की कमी को संबोधित करता है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में भर्ती को और अधिक कुशल और पारदर्शी बनाया गया है। साल 2024 की शुरुआत में इस पोर्टल के माध्यम से 11,000 से अधिक शिक्षण पद भरे गए, जो शैक्षिक अंतर को दूर करने में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। अब उम्मीदवारों के पास नौकरशाही के तहत चयन प्रक्रिया में देरी की संभावना कम है।
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महाराष्ट्र प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम हुआ लागू
आने वाले समय में सरकारी भर्तियों में अनियमितताओं को रोकने के लिए महाराष्ट्र प्रतियोगी परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 लागू किया गया है। हम आपको बतातें चलें कि, इस नए कानून में धोखाधड़ी के लिए कठोर दंड का प्रावधान है, जिसका उल्लंघन करने वालों को पांच साल तक की जेल हो सकती है। यह कदम निष्पक्ष भर्ती प्रथाओं के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में एक मजबूत संदेश देता है और यह सुनिश्चित करता है कि महाराष्ट्र सरकार की नौकरियां केवल योग्य उम्मीदवारों के लिए ही सुलभ हों।