Sports News: खेलों की इंटरनेशनल संस्था वर्ल्ड एथलिट ने ट्रांसजेंडर महिलाओं को ट्रैक एंड फिल्ड के खेल में शामिल रोक लगाई है। वर्ल्ड एथलिट ने ये फैसला FINA यानी ‘इंटरनेशनल स्विमिंग फेडरेशन ‘ के फैसले के तर्ज पर लिया है। इंटरनेशनल स्विमिंग फेडरेशन (FINA) एक अंतर्राष्ट्रीय तैराकी संस्था है इंटरनेशनल स्विमिंग फेडरेशन (FINA) ने पिछले साल जून में ट्रांसजेंडर महिलाओं को तैराकी में शामिल होने पर रोक लगा दी थी।

  • 31 मार्च 2023 से शुरु होगा प्रतिबंध

  • ट्रांसजेंडर महिलाओं पर रोक क्यों लगाई गई

  • क्या डब्ल्यूए ने दूसरे नियमों को भी बदला है?

31 मार्च 2023 से शुरु होगा प्रतिबंध

वर्ल्ड एथलीट के इस फैसले के बाद जो ट्रांसजेंडर महिलाएं जो मर्द की तरह इच्छाएं रखती हैं, वो 31 मार्च 2023 के बाद से महिला प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाएंगी। हालांकि, इसके बाद वर्ल्ड एथलीट परिषद ने ट्रांसजेंडर के खेलों में शामिल होने के मुद्दे पर विचार करने की बात कही है।

साल 2023 की शुरुआत में डब्ल्यूए ने ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए पहले के नियम में थोड़ा बदलाव किया डब्ल्यूए के इस नियम के मुताबिक ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिला श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति तभी थी जब उनके शरीर में रक्त टेस्टोस्टेरोन का लेवल दो साल के लिए 2.5nmol / L हो।

ट्रांसजेंडर महिलाओं पर रोक क्यों लगाई गई

वर्ल्ड एथलीट का कहना है कि ये बैन “शारीरिक लाभों” को ध्यान में रख कर लिया गया है डब्लयूए ने ये कहा कि पुरुष और महिला एथलीटों के लिए श्रेणीकरण (श्रेणी बनाने) का नियम है। हमने ये नियम इसी श्रेणीकरण को ध्यान में रखकर बनाया है।

भारोत्तोलक लॉरेल हब्बार्ड ने 2013 के टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं के 87 किग्रा वर्ग में भाग लिया था जिसके बाद ये बहस छिड़ गई थी कि क्या ट्रांसजेंडर महिलाओं को ओलंपिक में हिस्सा लेना चाहिए या नही। हालांकि, लॉरेल हब्बार्ड ने पुरुष वर्ग में भाग लिया था लॉरेल हब्बार्ड ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली ट्रांसजेंडर एथलीट बन गई थी। 

क्या डब्ल्यूए ने दूसरे नियमों को भी बदला है?

डब्ल्यूए के नए नियम के मुताबिक डीएसडी एथलीट को लेकर ये कहा कि वो खेल में तभी शामिल हो सकते हैं जब उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा खेल में शामिल होने से 24 महीने पहले तक 2.5 nmol / L से नीचे हो। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डीएसडी एथलीटों में प्रजनन अंग नहीं होता है। इससे पहले, डीएसडी एथलीटों में टेस्टोस्टेरोन की कोई तय सीमा नहीं थी।

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